आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू, जानिए दस महाविद्याओं के स्वरूप

Update: 2023-06-19 18:25 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | साल में चार बार नवरात्रि आते हैं। माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन। इनमें से माघ और आषाढ़ में आने वाले नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस बार 19 जून, सोमवार से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रहे हैं जो 28 जून तक चलेंगे। ज्योतषीय मतानुसार आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि में जो वृद्धि योग बन रहा है वह आर्थिक उन्नति दिलवाने वाला है। शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रों में दस महाविद्याओं की पूजा का विधान है। ये दस महाविद्याएं इस प्रकार है- काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला। दस महाविघा आदि शक्ति की अवतार मानी जाती हैं और विभिन्न दिशाओं की अधिष्ठात्री शक्तियां हैं। तंत्र साधना करने वाले इन महादेवियों की पूजा गुप्त रूप से करते हैं इसलिए इनको गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।

1- काली

सभी 10 महाविद्याओं में माँ काली को प्रथम रूप माना जाता है। सिद्धि प्राप्त करने के लिए माता के इस रूप की पूजा की जाती है। इनकी साधना से विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है।

मंत्र-

माँ काली को ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा के मंत्र जप से प्रसन्न किया जा सकता है।

2- मां तारा

सर्वप्रथम महर्षि वशिष्ठ ने देवी तारा की आराधना की थी। यह तांत्रिकों की मुख्य देवी हैं। देवी के इस रूप की आराधना करने पर आर्थिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। परेशनियों को दूर करने के कारण इन्हें तारने वाली माता तारा कहा जाता है।

मंत्र-

तारा मां को प्रसन्न करने के लिए ऊँ ह्नीं स्त्रीं हुम फट' मंत्र का जाप कर सकते हैं।

3- त्रिपुर सुंदरी

इन्हें ललिता, राज राजेश्वरी और त्रिपुर सुंदरी भी कहते हैं। त्रिपुरा में स्थित त्रिपुर सुंदरी का शक्तिपीठ है। यहां पर माता की चार भुजा और 3 नेत्र हैं। इनकी पूजा से धन, भोग, ऐश्वर्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मंत्र-

ऐ ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:

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