Apara Ekadashi 2022: अपरा एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये कार्य, इन नियमों का करें पालन

Update: 2022-05-19 14:10 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Achala Ekadashi 2022: हर माह के दोनों पक्षों में एकादशी तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है. हर माह की एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. इस माह ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जानते हैं. अपरा एकादशी 26 मई, गुरुवार के दिन पड़ रही है. इसे अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान के साथ मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है. इस कारण इस एकादशी को मोक्षदायिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तों को व्रत के नियमों का खास ख्याल रखना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन व्रत के नियमों का पालन न करने से भगवान विष्णु नाराज हो जाते हैं. और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है. साथ ही, इस दिन नियमों का ध्यान न रखने पर व्यक्ति को व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता. आइए जानते हैं एकादशी व्रत के नियमों के बारे में.
अपरा एकादशी के नियम
- एकादशी के व्रत में खानपान का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन भूलकर भी चावल, नमक, गोभ, अन्न, मांस, मसूर दाल, गाजर, उड़द, चना, शलगम और पालक आदि के सेवन से परहेज करना चाहिए.
- इस दिन साबुन से नहाना, कपड़े धोना, बाल धोना, बालों को काटना या फिर नाखून काटना आदि वर्जित होता है.
- मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वाले लोगों को क्रोध नहीं करना चाहिए. किसी भी प्रकार के लड़ाई-झगड़ा आदि से बचना चाहिए. ऐसा करने से भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं.
- धार्मिक दृष्टि से अचला एकादशी के दिन व्यक्ति को किसी भी प्रकार के शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए. साथ ही इस दिन मन में गलत विचारों का आना जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. इस दिन व्यक्ति को पूर्ण रूप से ब्रह्मचार्य रूप का पालन करना चाहिए.
- एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी पत्र का भोग लगाया जाता है. लेकिन इस दिन तुलसी दल भूलकर भी नहीं तोड़ना चाहिए. आप एक दिन पहले दोपहर में कभी भी तुलसी पत्र तोड़ कर रख सकते हैं.
- इस दिन घर में साफ-सफाई भी नहीं करनी चाहिए. कहते हैं इस दिन घर में झाड़ू नहीं लगानी चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से चींटी जैसे छोटे जीवों के मरने का डर रहता है. अनजाने में भी पाप का भागीदार नहीं बनना चाहिए.


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