Angarki Sankashti Chaturthi 2021: जानिए अंगारकी गणेश चतुर्थी, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

आज सावन मास का संकष्टी चतुर्थी है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है. इस बार संकष्टी चतुर्थी का व्रत मंगलवार को पड़ रहा है इसलिए इसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं.

Update: 2021-07-27 02:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज सावन महीने की संकष्टी चतुर्थी है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है. ये चतुर्थी मंगलवार को पड़ रही है. इसलिए इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन विशेष रूप भगवान गणेश की पूजा होती है. आज मंगला गौरी व्रत भी रखा जाता है. ये दोनों शुभ व्रत एक दिन पड़ने से इसकी महत्वत और अधिक बढ़ गया है. मान्यता है कि जो लोग संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखते हैं उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि और महत्व के बारे में.

संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना होती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ करने से आपकी सभी परेशानियां दूर होता है. इस बार संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को 27 जुलाई को पड़ रही है. सावन की अंगारकी संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 27 जुलाई 2021 को शाम 3 बजकर 54 मिनट पर शुरू हो रहा है और 28 जुलाई दोपहर 02 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगा.
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
सावन के महीने में संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत और पूजा करने का संकल्प लें.
इसेक बाद उत्तर दिशा के तरफ मुंह कर भगवान गणेश की पूजा करें. सबसे पहले जल में काले तिल डालें और उसके बाद गणेश जी को अर्पित करें.
पूजा में भगवान गणेश को दूर्बा और अक्षत चढ़ाएं. इसके अलावा शमी का पत्ता और बेलपत्र अर्पित करें. भगवान गणेश को तिल के लड्डू या मोदक का भोग लगाए . शाम के समय में चांद को अर्ध्य दें और तिल के लड्डू खाकर व्रत खोलना चाहिए. इस दिन तिल का दान करना बहुत शुभ माना गया है.
गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए, ऐसा करने से वह नाराज हो जाते हैं. सकंष्टी चतुर्थी के दिन कंद -मूल और जमीन के नीचे उगने वाली चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए.
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करने से आपकी सभी दुख दूर हो जाते हैं. कहते हैं विघ्नहर्ता अपने भक्तों के विघ्न दूरकर सभी मनोकामानाएं पूरी करते हैं. इस व्रत को करने से घर में सुख- समृद्धि आती है.


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