Pilgrimage to Amarnaath:आज से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा

Update: 2024-06-29 05:18 GMT

Pilgrimage to Amarnaath: सनातन धर्म में अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2024) को अत्यंत फलदायी माना गया है। इस यात्रा के लिए शिव भक्त पूरे वर्ष इंतजार करते हैं। वर्ष 2024 में आज यानी 29 जून से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो गई है। इस दौरान खराब मौसम Bad weatherहोने के बाद भी विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। आज यानी 29 जून 2024 से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हो गई है। सनातन धर्म में अमरनाथ यात्रा का अत्यंत विशेष महत्व बताया गया है। यह तीर्थ स्थान सबसे पवित्र माना जाता है। इस यात्रा में शिव भक्त अधिक संख्या में शामिल होते हैं। खराब मौसम होने के बाद भी विशेष उत्साह देखने को मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं अमरनाथ यात्रा से जुड़ी अहम जानकारी और धार्मिक मान्यता यह है कि जो व्यक्ति अमरनाथ गुफा में शिवलिंग के दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस यात्रा को करने से 23 तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है। पुराणों में वर्णित किया गया है कि काशी में लिंग दर्शन और पूजन से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य तीर्थ से हजार गुना अधिक पुण्य बाबा अमरनाथ के दर्शन करने से मिलता है। यह भी मान्यता है कि यात्रा करने से जातक को सभी रोगों और पापों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसलिए कठिन पहलुओं के बाद शिव भक्त अमरनाथ यात्रा में शामिल होते हैं। यात्रा करने से भक्तों को महादेव की कृपा प्राप्त होती है। अमरनाथ यात्रा के दौरान किसी भी शिवभक्त को गलत न बोलें। किसी के भी प्रति मन में गलत विचार धारण न करें। भगवान शिव के नाम का जप करना चाहिए। शराब और धूम्रपान का सेवन न करें। साथ ही तामसिक भोजन के सेवन से दूर रहें। लेखन का विशेष ध्यान रखें। यात्रा के दौरान कचरा फैलाकर पर्यावरण को स्वच्छ न करें। सभी जरूरी दस्तावेज़ अपने पास अवश्य रखें। समुद्र तल से 3978 मीटर की ऊंचाई पर अमरनाथ गुफा में शिव जी का शिवलिंग स्थित है। पवित्र गुफा 90 फीट लंबी और 150 फीट ऊंची है। ऐसी मान्यता है कि गुफा में जल की बूंद टपकती है, जिसके कारण से शिवलिंग बनता है। चंद्रमा के घटने बढ़ने के साथ बर्फ से बने शिवलिंग के आकार में परिवर्तन होता है और अमावस्याNew Moonतक शिवलिंग धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। हर साल अमरनाथ की यात्रा की शुरुआत आषाढ़ माह से होती है, जिसका समापन रक्षाबंधन पर होता है। ऐसे में इस साल अमरनाथ यात्रा का आरंभ आज यानी 29 जून से हो गया है और 19 अगस्त को समाप्त होगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा दशमेश, ऋषि कश्यप और उनके पुत्र का वास कश्मीर घाटी में था। यह बात प्रचलित है कि एक बार कश्मीर घाटी पूरी तरह से जलमग्न हो गई। इससे झील का रूप ले लिया। इसके बाद इसके पानी को ऋषि कश्यप ने कई नदियों में बहा दिया। उस दौरान भृगु ऋषि हिमालय पर्वत की यात्रा के लिए वहां से निकले, तो घाटी में जल स्तर कम हुआ और उन्होंने सबसे पहले अमरनाथ यात्रा की पवित्र गुफा में विराजमान बर्फ के शिवलिंग को देखा। तभी से यह पवित्र स्थान शिव जी की पूजा और यात्रा का देवस्थान बन गया। प्रचलित है कि यहां पर देवों के देव महादेव ने तपस्या की थी।

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