दो बड़ी नदियों का उद्गम स्थल है अमरकंटक
भारत की प्रमुख सात नदियों में से एक नर्मदा और तीन प्रमुख महानदी में से एक सोन की उद्गम स्थली है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत की प्रमुख सात नदियों में से एक नर्मदा और तीन प्रमुख महानदी में से एक सोन की उद्गम स्थली है अमरंकटक. इसके अलावा जो इसकी सबसे बड़ी पहचान है, वह है यहां पर स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक शोण शक्तिपीठ या फिर कहें कालमाधव शक्तिपीठ. यह मंदिर सफ़ेद पत्थरों का बना है और इसके चारो ओर तालाब है. मान्यता है कि यहां पर देवी सती का बायां कूल्हा गिरा था. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यहां पर सती का कंठ गिरा था. जिसके बाद यह स्थान अमरकंठ और उसके बाद अमरकंटक कहलाया.
नवरात्रि में रहती भक्तों की भारी भीड़
शक्ति से जुड़े इस पावन स्थल को लोगों में अभी कुछ भ्रम है. तंत्र चूड़ामणि' से मात्र नितम्ब निपात का एवं शक्ति तथा भैरव का पता लगता है- 'नितम्ब काल माधवे भैरवश्चसितांगश्च देवी काली सुसिद्धिदा'. बहरहाल, यहां पर देवी सती कालमाधव और शिव असितानंद नाम से विराजित हैं. मान्यता है कि इस शक्तिपीठ पर शक्ति को 'काली' तथा भैरव को 'असितांग' कहा जाता है.
शक्ति का यह पावन स्थल काफी सिद्ध और शुभ फल प्रदान करने वाला है. मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. यही कारण है कि दूर-दूर से लोग माता के इस पावन दरबार में आकर साधना-आराधना करते हैं और अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए मां से प्रार्थना करते हैं. नवरात्रि के अवसर पर यहां पर देवी के भक्तों तांता लगा रहता है.
दो बड़ी नदियों का उद्गम स्थल है अमरकंटक
अमरकंटक मैकल पर्वत पर स्थित है. यह मैकल पर्वत विंध्य पर्वत श्रृंखला और सतपुड़ा पर्व श्रृंखला संधि पर्वत है. इसे पुराणकालीन पर्वत का अंग माना जाता है. इसे भौगोलिक चमत्कार ही कहा जाएगा कि एक ही स्थान से दो नदियां बिल्कुल विपरीत दिशाओं में बहती हैं. इसमें से सोन नदी जहां बिहार के पास गंगा नदी से मिलती है, वहीं नर्मदा गुजरात के भड़ौच नाम स्थान में अरब सागर में जाकर मिल जाती हैं.
कैसे पहुंचे अमरकंटक के इस शक्ति स्थल पर
अमरकंटक स्थित इस पावन शक्तिपीठ के दर्शन करने के लिए आप रेल मार्ग एवं सड़क के रास्ते पहुंच सकते हैं. अमरकंटक के सबसे करीब पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन है, जहां से यह शक्ति स्थल 17 किमी की दूरी पर स्थित है. वहीं सड़क मार्ग से आपको मध्यप्रदेश के अनूपपुर पहुंचना होगा फिर वहाँ से 48 किमी की और यात्रा करने के बाद अमरकंटक में आपको माता के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा.\
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)