लम्बी उम्र और उज्ज्वल भविष्य के लिए रखे जाते है अहोई अष्टमी व्रत
हिंदू धर्म में कोई ना कोई विशेष त्योहार या फिर व्रत आता ही है. कार्तिक माह की अष्टमी तिथि पर अहोई अष्टमी व्रत रखा जाता है. इस साल यह व्रत 17 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार के दिन रखा जाएगा.
हिंदू धर्म में कोई ना कोई विशेष त्योहार या फिर व्रत आता ही है. कार्तिक माह की अष्टमी तिथि पर अहोई अष्टमी व्रत रखा जाता है. इस साल यह व्रत 17 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार के दिन रखा जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत संतान सुख की प्राप्ति, संतान की दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है. अष्टमी के दिन इस व्रत का पारण तारों को देख कर किया जाता है. बेटियों के लिए क्यों किया जाने लगा अहोई अष्टमी का व्रत, आइए जानते हैं भोपाल के रहने वाले ज्योतिषी एवं पंडित जितेंद्र कुमार शर्मा से.
अहोई अष्टमी व्रत कैसे किया जाता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कार्तिक माह की अष्टमी तिथि को पढ़ने वाला अहोई अष्टमी व्रत महिलाएं अपने संतान की दीर्घायु और उज्ज्वल भविष्य के लिए करती हैं. इस व्रत का पारण तारों को देख कर किया जाता है. तारों की पूजा करने के बाद उन्हें अर्घ्य देकर व्रती महिलाएं अपना व्रत संपन्न करते हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं की मनोकामना जल्द ही पूरी होती है.
ये मान्यता है प्रचलित
अहोई अष्टमी का व्रत वैसे तो संतान की दीर्घायु के लिए रखा जाता है. संतान में बेटा और बेटी दोनों ही आते हैं परंतु कुछ रूढ़ियां लम्बे समय से चली आ रही हैं, जिसमें ये माना जाता है कि अहोई अष्टमी का व्रत सिर्फ पुत्रों की दिर्घायु के लिए रखा जाता है.
बेटियों के लिए रखा जाता है यह व्रत
जैसे-जैसे समय बदलता जा रहा है वैसे-वैसे बेटा और बेटियों में अंतर करना ना के बराबर हो गया है. आज के समय में बेटी किसी बेटे से कम नहीं है. बेटी हर एक वो काम कर सकती है, जो बेटा करता है. इसी विचारधारा को ध्यान में रखकर नए जमाने के माता-पिता अहोई अष्टमी का व्रत अपनी बेटी की लंबी उम्र और उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए रख रहे हैं. आज के जमाने के माता-पिता का कहना है कि अहोई अष्टमी का व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है और संतान के रूप में बेटा हो या बेटी हमारे लिए दोनों ही बराबर हैं.
कब और कहां रखा जाता है अहोई अष्टमी व्रत
वैसे तो अहोई अष्टमी का व्रत हिंदुस्तान में अधिकतर महिलाएं रखती हैं परंतु इस पर्व का प्रचलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिकांश रूप से देखने को मिलता है. यह व्रत दिवाली से 8 दिन पहले और करवा चौथ के 4 दिन बाद महिलाएं रखती हैं. आज के समय के माता-पिता ने अपनी पुत्रियों की दीर्घायु और उज्ज्वल भविष्य के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखकर एक अलग मिसाल कायम की है, जो हर एक माता-पिता के लिए प्रेरणा बनकर सामने आई है.
ये महिलाएं रखती हैं बेटियों के लिए अहोई अष्टमी व्रत
मध्य प्रदेश के भोपाल निवासी सोना राजपूत अपनी चारों बेटियों की लंबी उम्र और उज्ज्वल भविष्य के लिए अहोई अष्टमी का व्रत कई सालों से रखती आ रही हैं. मध्यप्रदेश के खंडवा में रहने वाली मीनू राजपूत अपनी बेटी के लिए ये व्रत रख कर उनके अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं. इनके अलावा उत्तर प्रदेश के लखनऊ के सुमित श्रीवास्तव और उनकी पत्नी रंजना श्रीवास्तव भी अपनी बेटी के अच्छे भविष्य और दिर्घायु के लिए अहोई अष्टमी का व्रत पिछले तीन सालों से रख रहे हैं. इन सभी का मानना है कि इनके लिए बेटा और बेटी दोनों ही बराबर हैं.