रामनवमी के बाद चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा हनुमान जयंती का त्योहार
नवरात्र के व्रत का समापन रामनवमी के दिन किया जाएगा। रामनवमी के बाद चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जयंती का त्योहार मनाया जाएगा।
नवरात्र के व्रत का समापन रामनवमी के दिन किया जाएगा। रामनवमी के बाद चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जयंती का त्योहार मनाया जाएगा। यह हनुमान जी का जन्मोत्सव कहलाता है। इस दिन भगवान बजरंग बली की अराधना की जाती है। कई जगह इस दिन भंडारे भी किए जाते हैं।
पंचांग के अनुसार इस बार पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर लग रही है। 16 अप्रैल को ही पूर्णिमा तिथि रात 12 बजकर 24 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसलिए उदयमान तिथि होने के कारण पूर्णिमा और हनुमान जयंती 16 अप्रैल की मनाई जाएगी।
माना जाता है कि भगवान विष्णु को राम अवतार के वक्त सहयोग करने के लिए रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म हुआ था। रावण का वध, सीता की खोज और लंका पर विजय पाने में हनुमान जी ने प्रभु श्रीराम की पूरी मदद की थी। इस दिन भक्त भगवान हनुमान की पूजा अर्चना करने के साथ व्रत रखेंगे और धूमधाम से हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
इस दिन लोग मंदिरों में बाबा का शृंगार करते हैं, उन्हें चोला चढ़ाते हैं। इसके अलावा हवन, सुंदर कांड और हनुमान चलीसा सहित आरती का आयोजन किया जाता है। प्रसाद के रुप में गुड़, भीगे या भुने हुए चने, बेसन के लड्डू रख सकते हैं। पूजा सामग्री के लिए गैंदा, गुलाब, कनेर, सूरजमुखी आदि के लाल या पीले फूलर्, सिंदूर, केसरयुक्त चंदन, धूप-अगरबती, शुद्ध घी का दीप आदि ले सकते हैं।
मेष- बेसन के लड्डू ।
वृष- तुलसी के बीज ।
मिथुन- तुलसी दल अर्पित करें।
कर्क- हनुमानजी के मंदिर में पूजा करें।
सिंह- जलेबी का भोग लगाएं।
कन्या- बाबा की प्रतिमा पर चांदी का अर्क लगाएं।
तुला- मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं।
काशी तुलसी दल का भोग लगाएं।
धनु- मोतीचूर के लड्डू के साथ तुलसी दल चढ़ाए।
मकर- मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं।
कुंभ- सिंदूर का लेप लगाना चाहिए।
मीन- राशि लौंग चढ़ाने से बाबा प्रसन्न होंगे।