चार महीने बाद योग निद्रा से जागेंगे भगवान विष्णु, करें इन मंत्रों का उच्‍चारण

Update: 2022-10-30 05:46 GMT

 4 अक्टूबर 2022 के दिन भगवान विष्णु चातुर्मास के बाद योग निद्रा से जागेंगे। इस दिन को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त व्रत रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। ज्योतिष पंचांग के अनुसार देवउठनी एकादशी व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस के नाम से प्रख्यात देवउठनी एकादशी से सभी मांगलिक कार्य पुनः शुरू हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु को उनके प्रिय मंत्रों के उच्चारण के साथ योग निद्रा से जगाया जाता है। आइए जानते हैं-

भगवान विष्णु के चमत्कारी मंत्र

लक्ष्मी विनायक मंत्र

दन्ताभये चक्र दरो दधानं

कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम् ।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया

लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे ।।

प्रभावशाली मंत्र

ॐ अं वासुदेवाय नम:

ॐ आं संकर्षणाय नम:

ॐ अं प्रद्यम्नाय नम:

ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:

ॐ नारायणाय नम:

भगवान विष्णु मूल मंत्र

ॐ नमोः नारायणाय ।।

भगवान विष्णु पंचरूप मंत्र

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।

यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

भगवान विष्णु स्तोत्रम्

किं नु नाम सहस्त्राणि जपते च पुन: पुन: ।

यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव: ।।

मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम् ।

गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम् ।।

पदनाभं सहस्त्राक्षं वनमालिं हलायुधम् ।

गोवर्धनं ऋषीकेशं वैकुण्ठं पुरुषोत्तमम् ।।

विश्वरूपं वासुदेवं रामं नारायणं हरिम् ।

दामोदरं श्रीधरं च वेदांग गरुड़ध्वजम् ।।

अनन्तं कृष्णगोपालं जपतो नास्ति पातकम् ।

गवां कोटिप्रदानस्य अश्वमेधशतस्य च ।।

कन्यादानसहस्त्राणां फलं प्राप्नोति मानव: ।

अमायां वा पौर्णमास्यामेकाद्श्यां तथैव च ।।

संध्याकाले स्मरेन्नित्यं प्रात:काले तथैव च ।

मध्याहने च जपन्नित्यं सर्वपापै: प्रमुच्यते ।।


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