आचार्य ने तीन स्थितियों में संतोष रखने और तीन स्थितियों में असंतोष रखने की बात कही है
आचार्य चाणक्य ने जीवन में संतोष और असंतोष दोनों की उपयोगिता का जिक्र किया है. बस व्यक्ति को इस बात की समझ होना जरूरी है कि कहां पर संतोष करना चाहिए और कहां असंतोष. यहां जानिए आचार्य चाणक्य का इस बारे में क्या कहना था.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कहा जाता है कि व्यक्ति को जीवन में हर परिस्थिति को स्वीकार करके संतुष्ट रहना चाहिए और जो प्राप्त करना है, उसके लिए प्रयास करते रहना चाहिए. लेकिन आचार्य चाणक्य ने संतुष्टि और असंतुष्टि दोनों के महत्व के बारे में बताया है. अपने ग्रंथ चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने कुछ विशेष परिस्थितियों का जिक्र किया है और बताया है कि जीवन में संतुष्टि (Satisfaction) और असंतुष्टि (Dissatisfaction) दोनों की उपयोगिता है, बस व्यक्ति को उन्हें समझने की जरूरत है. कुछ जगहों पर इंसान के लिए असंतुष्टि बहुत जरूरी होती है, क्योंकि वो असंतोष उसे जीवन में आगे बढ़ाने और उसका भला करने के लिए होता है. जानिए आचार्य चाणक्य ने लोगों के लिए किन परिस्थितियों में संतुष्ट रहकर और किन परिस्थितियों में असंतुष्ट रहकर अपना भला करने की बात कही है.