हिंदू धर्म में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शुभ कार्यों को करने से पहले किए जाते हैं ,शुभ मुहूर्त पर विचार

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्यों को करने से पहले शुभ मुहूर्त पर विचार किया जाता है

Update: 2021-04-29 11:31 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्यों को करने से पहले शुभ मुहूर्त पर विचार किया जाता है. हिंदू धर्म में विवाह एक ऐसा कार्य है जो सिर्फ दो लोगों के बीच नहीं होता है बल्कि दो परिवारों को जोड़ता है. इसलिए विवाह से जुड़े सभी मांगलिक कार्यों को शुभ मुहूर्त और शुभ दिन देखकर किया जाता है. विवाह में किसी भी तरह की कोई परेशानी न हों. इसलिए ग्रहों की चाल से लेकर उनकी गोचर स्थिति का आंकलन किया जाता है.

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल विवाह के सबसे अधिक मुहूर्त मई महीने में निकल रहे हैं. विवाह संबंधी मामालों में गुरू और बुध की अहम भूमिका मानी जाती है. ज्योति शास्त्र के अनुसार, जब शुक्र तारा अस्त होता है तो विवाह संबंधी कार्य नहीं किए जाते हैं. इसके अलावा खरमास में भी कोई शुभ कार्य नहीं होता है.
पंचाग के अनुसार, इस साल फरवरी और मार्च में विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं बन रहा था. विवाह के शुभ कार्य 22 अप्रैल से शुरू हो चुके हैं. दरअसल 28 अप्रैल से वैशाख का महीना शुरू हो चुका है. इस महीने को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए ये महीना सबसे शुभ होता है.

आइए जानते हैं मई महीने में पड़ने वाले विवाह के शुभ मुहूर्त के बारे में.
2 मई
4 मई
7 मई
8 मई
21 मई
22 मई
23 मई
24 मई
26 मई
29 मई
31 मई
कब नहीं किए जाते हैं विवाह
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास, मलमास, गुरु और शुक्र तारा अस्त होने के दौरान और देवशयनी के समय मांगलिक कार्यों को नहीं किया जाता है.सिर्फ विवाह ही नहीं अन्य शुभ कार्य भी नहीं किए जाते हैं. हालांकि 22 अप्रैल से विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू हुए थे. इस साल 15 जुलाई यानी देवशयन से पहले 37 विवाह मुहूर्त बन रहे हैं. इसके बाद 15 नंवबर को देवउठनी एकादशी से 13 दिसंबर तक 13 दिन विवाह के शुभ मुहूर्त बनेंगे.


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