मैथिल पंचांग के अनुसार आज या कल कब मनाया जाएगा रक्षा बंधन, जानें
श्रावणी उपाकर्म को लेकर धर्मनगरी के विभिन्न ब्राह्मण संगठनों में अलग-अलग मत है। जिसके चलते वर्ष में एक बार होने वाली श्रावणी उपाकर्म पूजा को लेकर ब्राह्मण समाज में भी संशय की स्थिति बनी हुई है
श्रावणी उपाकर्म को लेकर धर्मनगरी के विभिन्न ब्राह्मण संगठनों में अलग-अलग मत है। जिसके चलते वर्ष में एक बार होने वाली श्रावणी उपाकर्म पूजा को लेकर ब्राह्मण समाज में भी संशय की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि कुछ पंचांगों में 11 अगस्त को बताया गया है, तो कुछ पंचांगों में 12 अगस्त को तथा कुछ पंचांगों में 11 एवं 12 दोनों दिन पूजा करने की बात लिखी हुई है।
11 और 12 दोनों दिन शुभ मुहूर्त, 12 अगस्त को उदया तिथि में पूरे दिन बांधी जा सकेगी राखी
इस वर्ष पूर्णिमा के मान 11 अगस्त को प्रात: 9:35 से आरंभ होकर 12 अगस्त के दिन प्रात: 7:16 तक होने के कारण तिथि को लेकर समाज में भ्रम की स्थितियां उत्पन्न हो गई है। ब्राह्मण सेवा संघ के पदाधिकारियों का मत है कि 12 अगस्त को 7 बजकर 54 मिनट बाद पूर्णिमा नहीं है, उससे पहले ही समाप्त/ प्रतिपद् से विद्ध हो जा रही है। अत: 12 अगस्त उपाकर्म के लिए बिल्कुल उचित नहीं है। वहीं मैथिल ब्राह्मण संगठन का मत है कि 12 अगस्त की पूर्णिमा ग्राह्य होगी। इसलिए अधिकतम मैथिल पंचांगों में 12 अगस्त को उपाकर्म बताया गया है। पर मैथिल वर्ग में भी यह 12 अगस्त वाली पूर्णिमा उन्हीं के यहां मान्य होगी जिनके यहां उक्त परम्परा है।
श्रावणी उपकर्म 11 को ही पूर्णिमा तिथि में करना शास्त्रत्त् सम्मत रहेगा। खंड रूप में पूर्णिमा का 2 दिन मान प्राप्त होने की स्थिति में द्वितीय दिन यदि दो/तीन घटी से अधिक और 6 घटी से कम पूर्णिमा प्राप्त हो रही हो तो शुक्ल यजुर्वेद की तैतरीय शाखा के लोगों को श्रावणी उपाकर्म दूसरे दिन तथा शुक्ल यजुर्वेदीय अन्य सभी शाखा के लोगों को श्रावणी उपाकर्म पूर्व दिन अर्थात 11 अगस्त को ही करना चाहिए।
श्रावणी उपाकर्म पूजा 12 अगस्त को करना ही श्रेष्ठ है, क्यूंकि उस समय पूर्णमासी भी है और शुभ मुहूर्त भी है। 11 तारीख को पूर्णमासी दिन के 10 बजे लगेगा और वह उदया तिथि में नहीं है। संकल्प में उदया तिथि दिनभर मान्य होती है और श्रावणी उपाकर्म हिमाद्रि संकल्प बोला जाना निश्चित और श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए हिमाद्रि संकल्प 12 तारीख सुबह 6 बजे 7 बजे श्रावणी उपा कर्म करना श्रेष्ठ है।
श्रावण मास में श्रवण नक्षत्र से युक्त पूर्णिमा में दिन में उपाकर्म करना चाहिए। यदि श्रवण और पूर्णिमा अलग-अलग दिन हो तो यजुर्वेदियों के लिए पूर्णिमा का दिन प्रशस्त है। यदि उस दिन आधी रात से पूर्व ग्रहण या संक्रान्ति के कारण पूर्णिमा दूषित हो तो हस्त नक्षत्र से युक्त पंचमी में उपाकर्म करना चाहिए। अत: हम लोगों का उपाकर्म 11 अगस्त को है, 12 अगस्त को शास्त्रत्त् सम्मत नहीं है।