चाणक्य नीति के अनुसार शत्रु की हर चाल को नाकाम कर सकती हैं आपकी ये खास आदतें
चाणक्य नीति
आचार्य चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। महान कूटनीतिज्ञ और रणनीतिकार चाणक्य जी ने अपनी विद्वता और नीतियों के बल पर ही बालक चंद्रगुप्त मौर्य को मग्ध का सम्राट बनाया था। माना जाता है कि चाणक्य जी की नीतियों का अनुसरण करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति करता है। चाणक्य जी ने समाज का मार्गदर्शन करने के लिए एक नीति शास्त्र की रचना की थी, जिसमें उन्होंने सुखमय जीवन जीने के कई सुझाव दिए हैं।
आचार्य चाणक्य का मानना है कि हर व्यक्ति का कोई-न-कोई शत्रु जरूर होता है। ये शत्रु सदैव उसकी सफलता में बाधा बनने का प्रयास करते हैं। इसलिए चाणक्य जी ने शत्रुओं से सदैव साधवान रहने की सलाह दी है। चाणक्य नीति के अनुसार शत्रु दो तरह के होते हैं, पहले वो जो आपको नजर आते हैं और दूसरे वो जो आपको दिखाई नहीं देते, लेकिन यह निरंतर आपको नुकसान पहुंचाते हैं।
चाणक्य जी के अनुसार व्यक्ति की कुछ आदते हैं, जिनके सामने शक्तिशाली शत्रु की भी हर चाल नाकाम हो जाती है। तो आइये जानते हैं कि कौन-सी हैं वो आदतें-
वाणी की मधुरता: आचार्य चाणक्य के अनुसार मीठी वाणी के जरिए शत्रु को भी पराजित किया जा सकता है। मधुर वाणी बोलने वाले लोग आसानी से किसी भी सफलता को प्राप्त कर लेते हैं। वाणी की मधुरता शत्रु को भी मित्र बनाने की क्षमता रखती है। अगर आपकी वाणी मधुर नहीं है तो आपके शत्रुओं की संख्या में वृद्धि हो सकती है। इसलिए आचार्य चाणक्य मानते हैं कि व्यक्ति की वाणी में मधुरता होना अति आवश्यक है।
धन और ज्ञान: चाणक्य जी मानते हैं कि अगर आप अपने शत्रु को हराना चाहते हैं कि आपको निरंतर अपने ज्ञान और धन में वृद्धि करते रहना चाहिए। क्योंकि जब धन आता है तो व्यक्ति आत्मविश्वासी हो जाता है। वहीं आप अपने ज्ञान के जरिए किसी को भी पराजित कर सकते हैं। मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की कृपा जिस भी व्यक्ति पर हो जाती है, उसे शत्रुओं का भय नहीं रहता।