Independence Day पर अजमेर शरीफ पर चढ़ाई गई तिरंगे की चादर

Update: 2024-08-15 07:11 GMT
Ajmer Sharif राजस्थान न्यूज : राजस्थान न केवल राजपूत वास्तुकला और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसमें मुगल काल की कई संरचनायें और मस्जिदे भी हैं जो उस काल की वास्तुकला और मुगल प्रभाव को प्रदर्शित करती है। राजस्थान विश्वभर में अपने किलों, महलों और पर्यटक स्थलों के साथ-साथ अपनी धर्म निरपेक्षता के चलते कई मंदिर, मस्जिद, दरगाह, गुरुद्वारों और चर्चों के लिए भी विख्यात है।
राजस्थान में कई मस्जिदें और दरगाहें हैं जिनकी विश्वस्तर पर काफी मान्यता है। ये मस्जिदें और दरगाहें मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ अन्य धर्म के लोगों के लिए भी धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। राजस्थान की धर्म निरपेक्षता का जीवंत प्रमाण देते हमारे अजमेर शरीफ और राजस्थान के प्रमुख गुरुद्वारों के वीडियो को इतना प्यार देने के लिए आप सभी दर्शकों का बहुत-बहुत आभार, अगर आपने अब तक इन वीडियोज़ को नहीं देखा है तो आपको इनका लिंक वीडियो के डिस्क्रिप्शन में मिल जायेगा। मुस्लिम समुदाय में काफी मान्यता रखने वाली कई ऐसी दरगाह और मस्जिदें हैं जिनके आस-पास एक बड़ी मुस्लिम आबादी निवास करती है। इन जगहों पर इबादत के लिए राजस्थान और भारत के साथ-साथ देश-विदेश से मुस्लिम और अन्य धर्म के श्रद्धालु आते हैं। राजस्थान की कई दरगाह और मस्जिदें ऐसी हैं जो इस्लामी और राजपूती वास्तुकला शैली का अभूतपूर्व प्रदर्शन करती हैं, जिसके चलते ये मुस्लिम तीर्थ यात्रियों के साथ-साथ पर्यटकों और कला प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं। तो आईये आज हम आपको लेकर चलें राजस्थान की 5 खूबसूरत और मशहूर मस्जिदों एवं दरगाहों की सैर पर
अजमेर शरीफ दरगाह
राजस्थान राज्य के अजमेर शहर में स्थित अजमेर शरीफ दरगाह यानि मोइनुद्दीन चिश्ती का मकबरा भारत में केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं बल्कि हर धर्म के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है। राजस्थान की प्रमुख दरगाहों में से एक अजमेर शरीफ दरगाह की अपनी एक अलग मान्यता है, क्योंकि यहां फारस से आए सूफी संत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने यहां समाधि ली थी। सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती द्वारा दी गई धर्म निरपेक्ष और सामाजिक शिक्षाओं के चलते इस दरगाह की सभी धर्मों, जातियों और आस्था के लोगों में काफी मान्यता है। इस दरगाह का निर्माण 1236 में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मृत्यु के बाद मुगलों द्वारा करवाया गया था। इसी दरगाह में दुनिया का सबसे बड़ा भी बर्तन मौजूद है, जिसे बड़ी देग़ कहा जाता है। अजमेर शरीफ दरगाह के बारे में कहा जाता है कि जो भी यहां पर सच्चे दिल कुछ भी मांगता है तो उसकी दुआ जरुर कबूल होती है। मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह इस्लाम में विश्वास रखने वालों के लिए विश्व के सबसे प्रमुख मुस्लिम तीर्थस्थलों में से एक है जहाँ इबादत के लिए विश्व और देशभर से लाखों मुस्लिम श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
ढाई दिन का झोपड़ा
राजस्थान की सबसे प्रसिद्ध मस्जिद में से एक ढाई दिन का झोपड़ा एक प्रसिद्ध मुस्लिम तीर्थ और ऐतिहासिक स्थल है, जिसका निर्माण 1192 ईस्वी में अफगानी सेनापति मोहम्मद गोरी के कहने पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था। यह संरचना 1199 ईस्वी में पूरी हुई और 1213 ईस्वी में दिल्ली के बादशाह इल्तुतमिश द्वारा इसका सौंदर्यकरण किया गया। ढ़ाई दिन का झोंपड़ा एक प्रसिद्ध स्मारक है जो राजस्थान की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर साइट का निर्माण ढाई दिनों में किया गया था और इसी वजह से इसका नाम ढाई दिन का झोपड़ा पड़ा है। इस मस्जिद में कुल 70 स्तंभ हैं, जिनकी ऊंचाई करीब 25 फीट है। इसके हर स्तंभ पर इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर में खूबसूरत नक्काशी की गई है। यहां के आस-पास की काफी इमारतें खंडहर हो चुकी हैं लेकिन मस्जिद का क्षेत्र अभी भी संरक्षित है।
टोंक की जामा मस्ज़िद
भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक टोंक की जामा मस्ज़िद है, जहां मुग़ल क़ालीन स्थापत्य कला का एक बेजोड़ भव्य उदाहरण देखने को मिलता है। जामा मस्जिद का निर्माण 1817 में टोंक के पहले नवाब अमीर ख़ां द्वारा शुरू करवाया गया था और इस मस्जिद का निर्माण कार्य उनके बेटे नवाब वजीरूद्दौला के ज़माने में 1834 से 1864 के बीच पूरा किया गया। मस्ज़िद का अन्दरूनी हिस्सा और दीवारें स्वर्ण चित्रांकन और मीनाकारी से सुसज्जित हैं, जो कि इस मस्जिद की आंतरिक सुन्दरता को और बढ़ा देता है, साथ ही बाहर की तरफ काफी दूर से भी नजर आने वाली बड़ी बड़ी चार विशाल मीनारे हैं, जिन्हें आप शहर के किसी भी कौने से देख सकते हैं। अरावली की गोद में बनी यह शानदार मस्जिद प्रकृति से घिरी होने के कारण और भी ज्यादा आकर्षक लगती है और अपनी वास्तुकला के चलते नवाबी वंश की धरोहर के रूप में स्थापित है।
अक बरी मस्जिद अजमेर: अक बरी मस्जिद अजमेर में शाहजहानी गेट और बुलंद दरवाजे के बीच में एंडर कोटे रोड पर स्थित राजस्थान की प्रसिद्ध मस्जिद है। बादशाह अकबर ने इस मस्जिद का निर्माण सन चौदह सौ पचपन में मन्नत पूरी होने की खुशी में करवाया था। लाल सैंडस्टोन में निर्मित अक बरी मस्जिद को सफेद और हरे रंग के पत्थर से सजाया गया है जो इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगाने का कार्य करते है। इस मस्जिद के चारों ओर लम्बे-लम्बे प्रवेश द्वार हैं, जो इसकी सुंदरता को कई अधिक गुना तक बढ़ा देते हैं। राजस्थान के प्रमुख मस्जिदे में शामिल अक बरी मस्जिद मुस्लिम तीर्थ स्थल होने के साथ साथ कुरानिक शैक्षणिक संस्थान भी है जिसमे मुस्लिम बच्चो को इस्लामी शिक्षा प्रदान की जाती है।
तर्कीन दरगाह नागौर
तर्कीन दरगाह राजस्थान की सबसे प्रसिद्ध दरगाह में से एक है जो नागौर किले के अंदर स्थित स्थित है। अजमेर-ए-शरीफ दरगाह के बाद यह मस्जिद मुस्लिम समुदाय के लिए देश के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। तर्कीन दरगाह को ख्वाजा हमीदुद्दीन नागौरी की याद में बनाया गया था जो ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सबसे चहेते शिष्य थे। यह दरगाह दुनिया में राजपूत और मुग़ल वास्तुकला की सबसे बेहतरीन संरचनाओं में से एक है। इस मशहूर दरगाह का निर्माण सन 1322 में हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी की याद में किया गया था। सूफी संत ख्वाजा हमीदुद्दीन नागौरी का जन्म नागौर में हुआ था और इन्होंने अपना अधिकांश जीवन नागौर में ही गरीबों और दलितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया था। जैसलमेरी पीले पत्थर से बनी इस मस्जिद के सौंदर्यीकरण का काम 650 वर्ष पूर्व मुहम्मद बिन तुगलक ने करवाया था।
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