6 सितंबर 2022: जानिए आज एक शुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
आज पार्श्व एकादशी है. पार्श्व एकादशी को हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन (एकादशी) पर होने वाले सबसे शुभ और पुण्य त्योहारों में से एक माना जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज पार्श्व एकादशी है. पार्श्व एकादशी को हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन (एकादशी) पर होने वाले सबसे शुभ और पुण्य त्योहारों में से एक माना जाता है. पार्श्व एकादशी का व्रत देश के विभिन्न भागों में बड़े उत्साह और अपार श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इसे भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लोकप्रिय रूप से 'परिवर्तिनी', 'जलझूलिनी एकादशी' और 'वामन एकादशी' के रूप में भी मनाया जाता है.
24 घंटे के लिए होता है पार्श्व एकादशी व्रत
पार्श्व एकादशी के दिन, भक्त आमतौर पर व्रत रखते हैं. व्रत 24 घंटे के लिए होता है. यह एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी तिथि तक होता है. व्रत की मध्यावधि में एक बार भोजन किया जा सकता है, लेकिन यह सूर्यादय से पहले होना चाहिए.
पार्श्व एकादशी संबंधी कुछ नियम
पार्श्व एकादशी के व्रत और पूजन का विचार है तो याद रखें कि इस दिन चावल और दही सहित चांदी का दान करने का विशेष विधि-विधान है. इसके अलावा तांबा या उससे बनी कोई भी वस्तु दान कर सकते हैं. साथ ही रात्रि को जागरण अवश्य करना चाहिए.
वैसे तो वामन एकादशी की पूजा करने के लिए कोई कठोर नियम नहीं हैं. आप भगवान वामन का नाम लेकर श्रीहरि का कोई भी मंत्र उच्चारण कर सकते हैं. इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें- देवेश्चराय देवाय, देव संभूति कारिणे. प्रभवे सर्व देवानां वामनाय नमो नम..
कोई भी रख सकता है पार्श्व एकादशी व्रत
पार्श्व एकादशी व्रत किसी भी लिंग या किसी भी आयु का व्यक्ति स्वेच्छा से रख सकता है. एकादशी व्रत करने की चाह रखने वाले लोगों को दशमी (एकादशी से एक दिन पहले) के दिन से कुछ जरूरी नियमों को मानना पड़ता है. दशमी के दिन से ही श्रद्धालुओं को मांस-मछली, प्याज, दाल (मसूर की) और शहद जैसे खाद्य-पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. रात के समय भोग-विलास से दूर रहते हुए पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
आज का पंचांग
भाद्रपद - शुक्ल पक्ष - एकादशी - मंगलवार
नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग- आयुष्मान योग
चंद्रमा का धनु के उपरांत मकर राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त - 12.00 बजे से 12.49 बजे तक
राहु काल- 03.30 बजे से 05.03 बजे तक
त्योहार- पार्श्व एकादशी, पद्मा एकादशी, कटी परिवर्तन उत्सव
गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
सायंकाल से पहले आज पांच पीली मिठाई केले के पत्ते पर रखकर भगवान विष्णु को अर्पित करते हुए अपनी मनोकामना का स्मरण करें.