धर्म अध्यात्म: पितृपक्ष के तहत गयाजी में पिंडदान का आज छठवां दिन है. पिंडदानी आज छठा पिंडदान कर रहे हैं. गयाजी में पिंडदान के छठवें दिन विष्णुपद गर्भगृह के ठीक बगल में स्थित 16 पिंडवेदियों पर तर्पण करने का विधान है. यहां लगातार 3 दिनों तक एक-एक कर सभी पिंडवेदियों पर पिंडदान किया जाएगा. आश्विन कृष्ण पक्ष पांचवी तिथि से लेकर आठंवी तिथि तक श्रद्धालु विष्णुपद स्थित सभी 16 पिंड वेदी पर पिंडदान कर अपने पूर्वजो को मोक्ष दिलाएंगे. 16 पिंड वेदी में विष्णुपद, रुद्रपद, ब्रह्मपद, कार्तिक पद, सूर्य पद, दक्षिणागिग्न पद, चंद्र पद, गणेश पद, कन पद, मतंगपद, इंद्र पद, अगस्तय पद, संध्यागनि पद, कास्यपद आदि है.
आश्विन कृष्ण पक्ष पांचवी तिथि के दिन फल्गु नदी में स्नान करके मार्कंडेय महादेव का दर्शन कर विष्णुपद स्थित सोलह वेदियों पर जाने की प्रथा है. यहां आकर विष्णु भगवान सहित अन्य भगवानों को जिनके नाम से वेदी हैं, उनको स्मरण करना चाहिए. उसके बाद पिंडदान का कर्मकांड शुरू करना चाहिए. विष्णुपद स्थित देव परिधि में स्थित 16 बेदी का आकार हाथी की तरह है. एक बड़ा चट्टान पर 16 बेदी स्थित है जहां 16 खंभे हैं. सभी खंभे पिंड बेदी के नाम से जाने जाते हैं. माना जाता है कि देव परिधि में कर्मकांड करने से पितर विष्णु लोक में जाते हैं.
इन पांचों पदों पर पिंडदान करने का है महत्व
इस संबंध में मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित रामाचार्य बताते हैं कि पांचवे दिन विष्णुपद और रुद्रपद में पिंडदान होता है. इस दिन रूद्र पद वेदी पर मावा एवं खीर का पिंड का विधान है. अगले दिन विष्णुपद मंदिर के पास ही अवस्थित गहर्पत्यागिन पद, आह्वगनी पद, स्मयागिन पद, आवसध्यागिन्द और इन्द्रपद इन पांचों पदों पर पिंडदान करने का महत्व है. इस दिन फल्गु स्नान, श्राद्ध, अक्षय वट जाकर अक्षय वट के नीचे श्राद्ध करना चाहिए. वहां 3 या 1 ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए. यहीं गया पाल पंडों के द्वारा सुफल दिलाई जाती है. इसके बाद अगले दिन पिंडदान अर्पित कर कण्वपद, दधीचि पद, कार्तिक पद, गणेश पद और गजकर्ण पद पर दूध ,गंगा जल या फल्गू नदी के पानी से तर्पण करना चाहिए.
पिंडदान के बाद भगवान विष्णु के चरण का होता है दर्शन
विष्णुपद मंदिर में रूद्र पद ब्रह्म पद और विष्णुपद में खीर के पिंड से श्राद्ध करना चाहिए. छठा, सातवां और आठवें दिन विष्णुपद मंदिर के 16 वेदी नामक मंडप में 14 स्थानों पर पिंडदान करना चाहिए. विष्णुपद मंदिर परिसर में स्थापित इन वेदियों के अलावा कुल 16 वेदियां है. यहां की मान्यता है कि इन वेदियों पर पिडंदान करने से 7 गोत्र और 101 कुल का उद्धार होता है. सभी 16 पिंड वेदी पर पिंडदान के बाद श्रद्धालु भगवान विष्णु के चरण का दर्शन करते हैं.