Navami नवमी : शारदीय नवरात्र का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित है। इस दौरान आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसके साथ ही नौ शक्ति देवियों के निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि मां दुर्गा की पूजा एवं भक्ति करने से साधक की हर एक मनोकामना समय पर अवश्य पूरी होती है। इसके साथ ही पद-प्रतिष्ठा, यश-कीर्ति, मान-सम्मान, सुख, सौभाग्य और आय में बढ़ोतरी होती है। अतः साधक नौ दिनों तक भक्ति भाव से मां दुर्गा की पूजा करते हैं। वहीं, नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। इसी दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। इस शुभ अवसर पर नौ कन्याओं की पूजा की जाती है। कई स्थानों पर अष्टमी तिथि पर भी कन्या पूजन भी किया जाता है। इस वर्ष अष्टमी एवं नवमी एक दिन ही पड़ने के चलते साधकों में कन्या पूजन को लेकर दुविधा है। आइए, कन्या पूजन की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-
धर्म पंडितों की मानें तो शारदीय नवरात्र की अष्टमी एवं नवमी 11 अक्टूबर को है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर होगा। इसके बाद नवमी तिथि पड़ रही है। अतः अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करने वाले 12 बजे से पहले कन्या पूजन कर सकते हैं। हालांकि, नवमी तिथि शुरू होने के बाद विधिपूर्वक मां सिद्धिदात्री की पूजा करें। इसके बाद अन्न और धन का दान कर व्रत खोलें।
अगर आप नवमी तिथि पर कन्या पूजन करना चाहते हैं, तो 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट के बाद कन्या पूजन कर सकते हैं। आप चाहे तो 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से पहले भी कन्या पूजन और नवमी पूजन कर सकते हैं। इसके बाद शास्त्र नियमों के तहत व्रत खोल सकते हैं। साधक अपनी सुविधा के अनुसार 11 अक्टूबर को सुबह या दोपहर के समय में कन्या पूजन कर सकते हैं। हालांकि, शारदीय नवरात्र का व्रत दोपहर 12 बजकर 08 मिनट के बाद ही खोलें। वहीं, 11 अक्टूबर को अष्टमी का व्रत रखने वाले साधक 12 अक्टूबर को 10 बजकर 58 मिनट तक व्रत खोल सकते हैं।