11 जून 2024 हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी

Update: 2024-06-11 06:51 GMT
धनासरी महला ५ घरु ६ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ सुनहु संत पिआरे बिनउ हमारे जीउ ॥ हरि बिनु मुकति न काहू जीउ ॥ रहाउ ॥ मन निरमल करम करि तारन तरन हरि अवरि जंजाल तेरै काहू न काम जीउ ॥ जीवन देवा पारब्रहम सेवा इहु उपदेसु मो कउ गुरि दीना जीउ ॥१॥ तिसु सिउ न लाईऐ हीतु जा को किछु नाही बीतु अंत की बार ओहु संगि न चालै ॥ मनि तनि तू आराध हरि के प्रीतम साध जा कै संगि तेरे बंधन छूटै ॥२॥ गहु पारब्रहम सरन हिरदै कमल चरन अवर आस कछु पटलु न कीजै ॥ सोई भगतु गिआनी धिआनी तपा सोई नानक जा कउ किरपा कीजै ॥३॥१॥२९॥
भाई ! उस (धन-पदार्थ) के साथ प्रेम नहीं होना चाहिए, जिस की कोई पहुँच ही नहीं । वह (धन-पदार्थ) अन्त समय के साथ नहीं जाता । अपने मन में हृदय में तूं परमात्मा का नाम सुमिरन कर । परमात्मा के साथ प्रेम करने वाले संत जनाँ (की संगत करा कर),क्योंकि उन (संत जनों की) संगत में तेरे (माया के) बंधन खत्म हो सकते हैं ।2। हे भाई ! परमात्मा का सहारा पकड़, (अपने) हृदय में (परमात्मा के) कोमल चरण (वसा) (परमात्मा के बिना) किसी ओर की आशा नहीं करनी चाहिए, कोई ओर सहारा नहीं ढूंढणा चाहिए । हे नानक ! वही मनुख भक्त है, वही गिआनवान है, वही सुरति-अभिआसी है, वही तपस्वी है, जिस ऊपर परमात्मा कृपा करता है।3 ।1।29|
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