हमेशा बाईं दिशा में ही क्यों होती है गणेश जी के सूंड
गज यानी हाथी के मुख के कारण भगवान गणेश गजमुख व गजानन भी कहलाते हैं.
गज यानी हाथी के मुख के कारण भगवान गणेश गजमुख व गजानन भी कहलाते हैं. उनके इसी रूप की पूजा हर घर व मंदिर में होती है. पर गौर करें तो गणेश जी की मूर्तियों व तस्वीरों में हमें उनकी सूंड हमेशा बाईं दिशा में ही मिलेगी. दाईं दिशा में सूंड वाले गणेश जी की मूर्ति बहुत दुर्लभ ही मिलेगी, जिसकी एक खास वजह है. आज वही वजह हम आपको बताने जा रहे हैं.
दक्षिणाभिमुखी होते हैं दाईं सूंड वाले गणेश
दाईं दिशा में सूंड वाले गणेश जी को दक्षिणाभिमुखी गणेश कहा जाता है, जिनके दुर्लभ होने की खास वजह है. ज्योतिषाचार्य रामचंद्र जोशी के अनुसार, दक्षिणाभिमुखी गणेश जी की पूजा काफी कठिन होती है, क्योंकि ये जागृत व क्रोधित माने जाते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए कठिन साधना करनी होती है. मान्यता है कि यदि इनकी सही विधि विधान से पूजा नहीं की जाए तो ये रुष्ट हो जाते हैं. ऐसे में आमतौर पर दक्षिणाभिमुख गणेश जी की पूजा नहीं की जाती है.
तेज बढ़ाते हैं दाईं दिशा वाले गणेश जी
दक्षिण दिशा में सूंड वाले गणेश जी की पूजा भले ही बहुत कम की जाती है, लेकिन जो भी विधि-विधान से उनकी पूजा करे तो उसकी हर मनोकामना पूरी होकर मृत्यु का भय तक खत्म हो जाता है. पंडित जोशी के अनुसार, दक्षिण दिशा में यमलोक होता है, वहीं शरीर की दाईं नाड़ी सूर्य नाड़ी होती है. ऐसे में दक्षिणाभिमुखी गणेश जी की पूजा यमराज के भय से मुक्त कर आयु, ओज व तेज बढ़ाने वाली होती है.हनुमान जी को प्रिय हैं ये 5 तरह के प्रसादआगे देखें...
सरल होते हैं बाईं सूंड़ के गणेश
बाईं सूंड वाले गणेश जी की पूजा ही आमतौर पर ज्यादा की जाती है. इसकी वजह उनका सरल होना है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाईं सूंड वाले गणेश जी जितने क्रोधी होते हैं, बाईं दिशा वाले उतने ही सरल. जो भाव से थोड़ी पूजा में ही संतुष्ट हो जाते हैं. यही वजह है कि बाईं दिशा में सूंड वाले गणेश जी की पूजा ही ज्यादा की जाती है.
टॉप वीडियो