समय से पहले क्यों सफ़ेद होने लगते हैं बाल क्या इसे रोका जा सकता है
. उसके बाद हम पहले सफ़ेद बाल को जड़ से उखाड़ देते हैं. पर
हेल्थ | पहला सफ़ेद बाल देखना बड़ा ही डरावना अनुभव होता है. उसके बाद हम पहले सफ़ेद बाल को जड़ से उखाड़ देते हैं. पर एक बार सफ़ेद होना शुरू हो गए तो बाल आपको टेंशन पर टेंशन देना शुरू कर देते हैं. आप सफ़ेद बालों को उखाड़कर, ज़्यादा हो गए तो उन्हें कलर करके उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं, पर सफ़ेद बाल आपका पीछा नहीं छोड़ते. बाल क्यों होते हैं सफ़ेद? क्या उनसे सही मायने में छुटकारा पाया जा सकता है? क्या करें, जब समय से पहले बाल सफ़ेद होना शुरू कर दें? जैसे सवालों के जवाब हमने डॉ अनूप धीर, सीनियर कंसल्टेंट अपोलो हॉस्पिटल, कॉस्मेटिक प्लास्टिक सर्जन और एंड्रोलॉजिस्ट, से जानने की कोशिश की.
बाल क्यों होते हैं सफ़ेद? बालों का सफ़ेद होना एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है. बाल कभी भी सफ़ेद होना शुरू हो सकते हैं. यहां तक कि आपने कई टीनएजर्स या अर्ली ट्वेंटीज़ वालों के बालों में सफ़ेदी देखी होगी. हामरे शरीर पर लाखों हेयर फ़ॉलिकल्स हैं. ये फ़ॉलिकल्स बाल और उनके कलर या पिंग्मेंट सेल्स को जनरेट करते हैं, जिसमें मेलैनिन होता है. समय के साथ हेयर फ़ॉलिकल्स में पिग्मेंट सेल्स कम हो जाते हैं, जिसके चलते हमारे बाल सफ़ेद होने लगते हैं. इसके अलावा बालों के सफ़ेद होने के पीछे नस्ल भी ज़िम्मेदार होती है. उदाहरण के लिए गोरे लोगों में बालों का सफ़ेद होना 20 साल की छोटी उम्र से ही शुरू हो सकता है. वहीं एशियाई लोगों में 25 साल और अफ्रीकन-अमेरिकन लोगों में 30 साल से बालों में सफ़ेदी आनी शुरू हो सकती है.
क्यों समय से पहले सफ़ेद होते हैं बाल? वैसे तो समय से पहले बालों के सफ़ेद होने का बड़ा कारण आनुवांशिक यानी जेनिटिक माना जाता है, पर विटामिन बी-6, बी-12, बोयोटिन, विटामिन डी और विटामिन ई की कमी भी बालों को समय से पहले सफ़ेद कर सकती है. इन कारणों के अलावा ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस भी एक वजह है बालों के असमय सफ़ेद होने की. ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के चलते शरीर में इम्बैलेंस पैदा हो जाता है. शरीर को फ्री रैडिकल्स से होनेवाले डैमेज की भरपाई करने के लिए ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स नहीं होते हैं. फ्री रैडिकल्स अनस्टेबल मॉलिक्यूल्स हैं, जो सेल्स को क्षति पहुंचाते हैं, जिसके चलते कई तरह की बीमारियां होती हैं और त्वचा उम्रदराज़ दिखने लगती है. बहुत ज़्यादा ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के बालों पर डायरेक्ट पड़ने वाले इफ़ेक्ट की बात करें तो इससे विटिलिगो नामक स्किन पिग्मेंट कंडिशन पैदा होती है. विटिलिगो में मेलैनिन सेल्स ख़त्म होते जाते हैं या उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है. दोनों ही कंडीशन्स में बाल सफ़ेद होते हैं.इसके अलावा समय से पहले बालों के सफ़ेद होने में अलोपीशिया एरिएटा नामक ऑटोइम्यून स्किन कंडिशन की भी बड़ी भूमिका होती है. इस कंडिशन में सिर, चेहरे और शरीर के दूसरे हिस्सों के बाल तेज़ी से झड़ते हैं. जब बाल वापस उगना शुरू करते हैं, तब मेलैनिन की कमी के चलते सफ़ेद हो जाते हैं.