नई दिल्ली: ओलंपिक में भारत के एकमात्र 25 मीटर रैपिड फाइनल पिस्टल इवेंट के मेडलिस्ट विजय कुमार सोमवार को 39 साल के हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश में पैदा हुए विजय कुमार बचपन से ही बंदूक को लेकर आकर्षित थे। एक सामान्य आकर्षण से शुरू हुआ उनका सफर, कड़ी मेहनत और जुनून के साथ ओलंपिक सिल्वर मेडल के मुकाम तक पहुंचा था।
विजय कुमार आर्मी बैकग्राउंड से ताल्लुक रखते हैं। वह साल 2001 में भारतीय सेना में शामिल हो गए थे। उनके पिता भी आर्मी में थे। भारतीय सेना में भर्ती होने के बाद, विजय कुमार को सेना की ऐसी अनुशासित दुनिया मिली, जिसने उनके रिफ्लेक्स, फोकस और दृढ़ संकल्प को और तराशा। जल्द ही शूटिंग रेंज उनके लिए युद्ध का मैदान बन गया, जहां हर गोली अपने टारगेट को भेदने के लिए परफेक्शन की तलाश में निकलती थी।
2012 के लंदन ओलंपिक का मेडलिस्ट यह निशानेबाज 2008 में भी ओलंपिक डेब्यू करने के लिए तैयार था। लेकिन तब चिकन पॉक्स के कारण वह बीजिंग ओलंपिक का हिस्सा नहीं बन पाए थे। 2012 के लंदन ओलंपिक में उनको मिली जीत सिर्फ एक पदक तक सीमित नहीं थी; यह जबरदस्त बाधाओं के खिलाफ जज्बे की जीत भी थी।
ओलंपिक पदक जीतने के बाद भी विजय कुमार का जीवन काफी साधारण रहा। एक ओलंपिक मेडलिस्ट को आमतौर पर जो स्टारडम मिल जाता है, वह विजय को नहीं मिला। इसलिए विजय कुमार को अक्सर 'एक भूला दिए गए हीरो' के तौर पर याद किया जाता है।
विजय कुमार के सेना में करियर की बात करें तो उन्हें सेना में सूबेदार मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया था। उन्होंने 2017 में आर्मी से रिटायरमेंट के बाद अपनी आगे की पढ़ाई पर ध्यान दिया। उनके पास बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की डिग्री है और वह हिमाचल प्रदेश पुलिस में डीएसपी के पद पर कार्यरत हैं।
हिमाचल प्रदेश में नौकरी के बाद उन्होंने 'स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया' में हाई परफॉरमेंस कोच के पद पर भी आवेदन किया। एक ओलंपिक मेडलिस्ट होने के बावजूद जब उनको इस पद के लिए नहीं चुना गया तो उन्होंने हैरानी जताई थी। तब तक उनको पद्मश्री, खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके थे।
भारत के ओलंपिक मेडलिस्ट निशानेबाजों की सूची पर एक नजर डालें, तो राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग जैसे निशानेबाजों को खूब शोहरत मिली है। मनु भाकर पेरिस ओलंपिक में दो मेडल जीतने के बाद लोकप्रियता के अगले मुकाम पर पहुंच चुकी हैं। सरबजोत सिंह और स्वप्निल कुसाले भी दो नए उभरते हुए सितारे हैं। इस लिस्ट में विजय कुमार 'भूला दिए गए हीरो' की तरह जरूर नजर आ सकते हैं, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि वह एक 'हीरो' हैं, एक ऐसे हीरो जिन्होंने राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अभिनव बिंद्रा जैसे शूटरों के ओलंपिक पदक जीतने के सिलसिले को आगे बढ़ाया। एक ऐसे हीरो जिन्होंने लंदन ओलंपिक में भारत की ऐतिहासिक सफलता में अहम योगदान दिया और देश को ओलंपिक में आगे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए एक प्रेरक बनकर उभरे।