मुख्य संसदीय सचिवों को हटाने का फैसला स्वागत योग्य, कांग्रेस ने जनता को दिया धोखा : राजीव बिंदल
शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार को उच्च न्यायालय ने बड़ा झटका दिया है। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और बिपिन चंद्र नेगी की पीठ ने छह मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्ति को असंवैधानिक करार देते हुए उन्हें हटा दिया है। अब इस मुद्दे को लेकर भाजपा सरकार पर हमलावर हो गई है।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण फैसले ने यह साबित कर दिया कि प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने गैर-कानूनी तरीके से मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की है। इसके जरिये कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश की जनता के पैसों और उसकी शक्तियों का दुरुपयोग किया है। छह मुख्य संसदीय सचिवों को मुख्य संसदीय सचिव बनाकर उनको मंत्रियों की ताकत देना गैर-कानूनी और संविधान के खिलाफ है। हम उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं, जिन्होंने उन्हें हटाने का निर्देश दिया है।
राजीव बिंदल ने कहा कि अदालत का फैसला स्वागत योग्य है। हिमाचल प्रदेश की जनता के साथ कांग्रेस सरकार ने अन्याय पूर्ण व्यवहार किया है, हम उसकी निंदा करते हैं।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 2006 के सीपीएस एक्ट को निरस्त कर दिया है। साथ ही सभी सीपीएस की सभी सरकारी सुविधाएं तत्काल प्रभाव से वापस लेने का आदेश दिया है।
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने कांग्रेस के छह विधायकों को सीपीएस बनाया था। इस नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए कल्पना नाम की महिला के अलावा 11 भाजपा विधायकों और पीपुल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस नामक संगठन ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद बुधवार को हाईकोर्ट ने अहम सुनवाई करते हुए सीपीएस नियुक्तियों को असंवैधानिक करार दिया है।