नई दिल्ली: तैराकी एक ऐसा खेल है जहां भारत अभी 'तैरना' सीख रहा है। ओलंपिक में तैराकी में मेडल अभी भी दूर की कौड़ी है। यह भी नहीं कहा जा सकता कि माइकल फेल्प्स जैसे खिलाड़ी भारत में कभी हो पाएंगे या नहीं। फिलहाल यही परिदृश्य है। लेकिन किसी न किसी को एक शुरुआत करनी पड़ती है और किसी न किसी को एक बड़ी लकीर खींचनी पड़ती है। भारतीय तैराकी में इस लकीर को खींचने वाले एक ऐसे ही नाम हैं साजन प्रकाश, जो 14 सितंबर को अपना 31वां जन्मदिन मना रहे हैं।
भारत ओलंपिक में 1996 से तैराकी में शिरकत कर रहा है। लेकिन ये सभी तैराक यूनिवर्सिटी कोटा के तहत ही खेलों के महाकुंभ में एंट्री हासिल कर पाते थे। इसके लिए यह भी देखना होता था कि ओलंपिक में स्विमिंग के लिए कितने स्लॉट खाली बचे हैं। यह सिलसिला साल 2021 तक चलता रहा, जब कि साजन प्रकाश के रूप में एक ऐसे तैराक का उदय नहीं हुआ, जिसने पहली बार भारत की ओर से ओलंपिक में सीधा क्वालिफिकेशन हासिल किया था।
यह बात रोम में साल 2021 में हुई सेटे कोली ट्रॉफी की है जब साजन प्रकाश ने एक नया नेशनल रिकॉर्ड बना दिया था। यह पुरुषों का 200 मीटर बटरफ्लाई इवेंट था जहां पर ओलंपिक में सीधा कोटा हासिल करने के लिए 1:56.48 सेकंड का समय सुनिश्चित किया गया था। साजन प्रकाश ने यह दूरी 1:56.38 सेकंड में रेस पूरी कर दी थी। इसके साथ ही उनको टोक्यो 2020 ओलंपिक खेलों में 200 मीटर बटरफ्लाई इवेंट के लिए डायरेक्ट टिकट मिल गया था। तब टोक्यो ओलंपिक कोविड के चलते साल 2021 में हुए थे। रोम में हुई इस प्रतियोगिता में साजन प्रकाश ने तीन नेशनल रिकॉर्ड को भी ध्वस्त कर दिया था।
यह वास्तव में भारतीय तैराकी की एक नई शुरुआत कही जा सकती है। ओलंपिक में सही मायनों में आप तभी कंपीट कर पाते हैं जब उस इवेंट में सीधा प्रवेश मिला हो। यह इतनी बड़ी उपलब्धि थी कि इसके लिए साजन को भारतीय तैराकी के बड़े नाम के तौर पर याद किया जाता है। साजन ने भी इस इवेंट के बाद इसको भारतीय तैराकी के लिए एक नई शुरुआत बताया था। क्योंकि तब तैराकी में ओलंपिक मेडल जीतना तो दूर, ओलंपिक के लिए सीधे क्वालीफाई करना भी एक सपने की तरह था। इसके साथ ही वह दो ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने वाले भारत के एकमात्र तैराक बन गए थे। क्योंकि साजन इससे पहले रियो ओलंपिक में भी शिरकत कर चुके थे।
टोक्यो का सीधा क्वालिफिकेशन ऐसा मुकाम था जिसके पहले साजन का सफर इस ऐतिहासिक उपलब्धि से बिल्कुल विपरीत चल रहा था। टोक्यो 2020 से पहले साल 2019 में उनको कंधे की चोट के चलते 10 महीने के लंबे समय तक पूल से बाहर होना पड़ा था। रही-सही कसर कोविड के बाद लगे लॉकडाउन ने पूरी कर दी थी। इस मुश्किल समय में भारतीय तैराकी महासंघ और साजन के कोच और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता प्रदीप कुमार ने उनकी बड़ी मदद की थी। साजन कोच और उनकी पत्नी के सहयोग के चलते उनको अपने दूसरे परिवार की तरह मानते हैं। यह प्रदीप कुमार ही थे जिन्होंने साजन प्रकाश को उनके शुरुआती दिनों में 200 मीटर बटरफ्लाई और मेडले जैसे लंबे कोर्स के इवेंट पर फोकस करने के लिए प्रेरित किया था।
कोच से पहले साजन की प्रथम टीचर उनकी मां वी शांतिमोल थीं। वह एक ट्रैक एंड फील्ड एथलीट भी थीं। 14 सितंबर, 1993 को केरल के इडुक्की में पैदा हुए साजन ने पांच साल की उम्र में पहली बार गोता लगाया था। इसके बाद तैराकी उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया था। इसके बाद उन्होंने तमिलनाडु के नेवेली सिटी स्विमिंग क्लब में ट्रेनिंग ली और जल्द ही प्रसिद्ध तैराकी कोच प्रदीप कुमार के अंडर में बेंगलुरु में ट्रेनिंग ली। यहां से उनकी असल तैराकी यात्रा की शुरुआत हुई थी।
साजन का असली हुनर साल 2015 में हुए नेशनल गेम्स में दिखाई दिया था। तब केरल का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने रिकॉर्ड की झड़ी लगा दी थी। साजन ने इस प्रतियोगिता में 6 गोल्ड और 2 सिल्वर समेत 8 मेडल जीते थे। इसके अगले साल दक्षिण एशियाई खेलों में भी उन्होंने 200 मीटर बटरफ्लाई, 1500 मीटर फ्रीस्टाइल और 4x200 मीटर रिले में तीन गोल्ड मेडल जीते। उसी साल रियो ओलंपिक में उनको यूनिवर्सिटी कोटे के तहत जगह मिली थी। हालांकि इसके बाद उन्होंने वह उपलब्धि हासिल की जब उनको टोक्यो ओलंपिक में जगह बनाने के लिए किसी कोटे की जरूरत नहीं पड़ी थी।
साजन ने टोक्यो में 200 मीटर बटरफ्लाई में 24वां स्थान हासिल किया था। एक ऐसा प्रदर्शन जो मेडल से बहुत दूर था। साजन हाल ही में सम्पन्न हुए पेरिस ओलंपिक में क्वालीफाई भी नहीं कर पाए थे। जो बताता है तैराकी में ओलंपिक की डगर भारत के लिए अभी कितनी मुश्किल है। 25 साल तैराकी को देने वाले साजन ने शारीरिक और मानसिक तौर पर खुद को थका हुआ भी बताया था। लेकिन यह मैदान के बाहर की चीजें थी जो उनके लिए और भी बड़ी चुनौती साबित हुई थी। तब साजन ने कहा था, "मैं एक बार रिसेट होने के बाद और मजबूती से वापस लौटूंगा।"