खटीमा गोलीकांड की 30वीं बरसी पर सीएम धामी बोले, प्रदेश की जनता सदैव रहेगी वीरों की ऋणी

Update: 2024-09-02 02:49 GMT
खटीमा: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक सितंबर को खटीमा दौरे पर थे। यहां पर उन्होंने खटीमा गोलीकांड के 30वीं बरसी के मौके पर शहीदों को सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। धामी ने शहीदों के स्मारक पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी और उनके परिजनों को सम्मानित भी किया।
इस मौके पर सीएम धामी ने कहा, हमारे बेहतर भविष्य के लिए इन महान आत्माओं ने अपना वर्तमान और भविष्य दोनों ही कुर्बान किया। उत्तराखंड की जनता इन वीरों की सदैव ऋणी रहेगी। इन महान लोगों ने स्वयं का बलिदान इसलिए दिया था कि उत्तराखंड अलग राज्य बनकर ही सच्चे अर्थों में उनके सपनों को पूरा कर सकता है।
सीएम धामी ने कहा कि वे स्वयं एक आंदोलनकारी होने के नाते आंदोलनकारियों के परिवार की पीड़ा समझ सकते है। खटीमा गोलीकांड को याद कर आज भी खटीमावासियों सहित पूरे उत्तराखंड के लोगों का दिल सहम जाता है। पृथक राज्य निर्माण के लिए सबसे पहली शहादत खटीमा की धरती पर दी गई थी और इस शहादत के फलस्वरूप हम पृथक राज्य के रूप में अपनी अलग पहचान बना पाए, जो खटीमावासियों के लिए गर्व की बात है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ राज्य आंदोलनकारियों के आदर्शों और उनके सपनों को साकार करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। हमारा एक-एक पल राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड बनाने के लिए समर्पित है।
आज हम प्रदेश में कनेक्टिविटी, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन की अवस्थापना सुविधाओं को मजबूत करने से लेकर विभिन्न योजनाओं के जरिए जन-जन का उत्थान सुनिश्चित करने के लिए हर क्षेत्र में काम कर रहे हैं। औद्योगिकीकरण, पर्यटन और कृषि के क्षेत्र में विकास कर रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को गति प्रदान की जा रही है।
उन्होंने कहा कि शहीद आंदोलनकारियों के परिवारों को प्रतिमाह तीन हजार रुपये पेंशन दी जा रही है। जबकि जेल गए, घायल और सक्रिय आंदोलनकारियों को क्रमशः छह हजार और 4500 रुपये प्रति माह पेंशन दी जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के अधिकतम दो बच्चों को स्कूलों और कॉलेजों में निशुल्क शिक्षा, सरकारी बसों में निशुल्क यात्रा और उनके आश्रितों को पेंशन की सुविधा भी प्रदान की गई है।
कार्यक्रम के दौरान स्वच्छता कर्मचारियों के प्रांतीय नेता व पूर्व दर्जा राज्य मंत्री संतोष गौरव एवं सैकड़ों की संख्या में वाल्मीकि समाज के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
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