नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को बताया कि उद्योग संवर्द्धन और आतंरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या देश में बढ़कर 1,57,066 हो गई है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, देश में अब 73,000 से अधिक स्टार्टअप हैं, जिनमें कम से कम एक महिला निदेशक हैं, जिन्हें ‘स्टार्टअप इंडिया पहल’ के तहत मान्यता दी गई है, जो सरकार द्वारा समर्थित 1,57,066 स्टार्टअप का लगभग आधा हिस्सा है।
भारत पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर सबसे वाइब्रेंट स्टार्टअप इकोसिस्टम में से एक के रूप में उभरा है और इसने तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप हब के रूप में अपनी जगह बनाई है। 100 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम इनोवेशन और उद्यमिता के भविष्य को नया आकार दे रहा है।
मंत्रालय ने कहा कि पिछले दशक में भारत में उद्यमशीलता की भावना में आमूलचूल परिवर्तन आया है। बेंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली-एनसीआर जैसे शहर इनोवेशन के केंद्र बन गए हैं।
2024 में कुल 13 स्टार्टअप्स कंपनियों ने आईपीओ लॉन्च किए। यह संख्या पिछले कई वर्षों की तुलना में काफी अधिक थी। वहीं, यह आंकड़ा 2021 में 10, 2022 में 6 और 2023 में 6 पर था।
इन सभी 13 स्टार्टअप कंपनियों ने मिलकर 29,247.4 करोड़ रुपये शेयर बाजार से जुटाए हैं। इसमें से 14,672.9 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू था, जबकि 14,574.5 करोड़ रुपये का ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) था।
किफायती इंटरनेट की व्यापक उपलब्धता, साथ ही युवा और गतिशील कार्यबल ने फिनटेक, एडटेक, हेल्थ-टेक और ई-कॉमर्स सहित विविध क्षेत्रों में स्टार्टअप के विकास को बढ़ावा दिया है।
स्टार्टअप इंडिया द्वारा पेश की गई ‘भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम रिपोर्ट’ के अनुसार, भारत के स्टार्टअप ने स्थानीय और वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), ब्लॉकचेन और आईओटी जैसी उभरती तकनीकों का लाभ उठाया है।
केंद्र सरकार द्वारा 2016 में शुरू किया गया 'स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम' इस प्रयास की आधारशिला रहा है।
इसके अलावा अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) और नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हार्नेसिंग इनोवेशन (एनआईडीएचआई) जैसी पहल इनोवेटर्स को बुनियादी ढांचा और वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।