दक्षिण अफ्रीका में मिला सबसे ज्यादा म्यूटेट कोरोना वेरिएंट, कोविड वैक्सीन भी है कम असरदार

जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, पिछले 28 दिनों में दक्षिण अफ्रीका में 3,08,747 मामले सामने आए हैं.

Update: 2021-08-30 11:08 GMT

दुनिया अभी कोरोनावायरस (Coronavirus) से जूझ ही रही है कि इसके एक और नए वेरिएंट (Covid Variant) ने दस्तक दे दी है. दक्षिण अफ्रीका के रिसर्चर्स (South Africa) ने कहा है कि देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) पैदा करने वाले वायरस Sars-CoV-2 के एक नए वेरिएंट का पता चला है. उन्होंने चेतावनी दी है कि ये वेरिएंट तेजी से फैलने वाला हो सकता है और इस पर वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) भी कम असरदार हो सकती है. कोरोनावायरस के इस वेरिएंट को C.1.2 (Covid C.1.2 Variant in South Africa) नाम दिया गया है.

'नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज' (NICD) के वैज्ञानिकों और 'क्वाजुलु नटाल इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लेटफॉर्म' (KRISP) के उनके समकक्षों ने C.1.2 को 'संभावित वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' माना है. उन्होंने कहा कि ये वेरिएंट दक्षिण अफ्रीका में इस साल मई के महीने में पाया गया. रिसर्चर्स ने दावा किया कि तब से ये वेरिएंट कांगो डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, मॉरीशस, चीन, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड में भी सामने आया है. उन्होंने कहा कि C.1.2 में अन्य 'वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न' और 'वेरिएंट्स ऑफ इंटरेस्ट' वाले वेरिएंट्स की तुलना में अधिक म्यूटेशन हुआ है.
हर महीने वेरिएंट के जीनोम सीक्वेंस में हो रहा है इजाफा
रिसर्चर्स की इस स्टडी की अभी समीक्षा की जानी बाकी है और 24 अगस्त को प्री-प्रिंट रिपोजिटरी MedRxiv में पोस्ट की गई थी. इसमें कहा गया कि दक्षिण अफ्रीका समेत दुनियाभर में C.1.2 के मौजूद सीक्वेंस की संख्या और इसकी फ्रीक्वेंसी का सही तरह से प्रतिनिधित्व नहीं किया गया है. इसने ये भी पाया कि दक्षिण अफ्रीका में हर महीने इस नए वेरिएंट के जीनोम संख्या में इजाफा हो रहा है. मई में जीनोम सीक्वेंस 0.2 फीसदी था, जो जून में बढ़कर 1.2 फीसदी और फिर जुलाई में आकर ये 2 फीसदी हो गया. रिसर्च के लेखकों ने इस इजाफे को दक्षिण अफ्रीका में बीटा और डेल्टा वेरिएंट में हुई वृद्धि के समान करार दिया.
कैसे वैक्सीन को कम असरदार बनाता है C.1.2 वेरिएंट?
रिसर्चर्स ने बताया है कि कैसे C.1.2 कोविड-19 वैक्सीन द्वारा मिलने वाली सुरक्षा को भेदता है. उन्होंने लिखा, म्यूटेशन N440K और Y449H को C.1.2 के सीक्वेंस में पाया गया है, जो कुछ एंटीबॉडी से इम्यून को खत्म करने वाले हैं. ये म्यूटेशन वायरस के अन्य भागों में बदलाव के साथ एंटीबॉडी से बचने में सहायता करते हैं. एंटीबॉडी के कमजोर होने की ये घटना उन लोगों में भी देखने को मिल सकती है, जिनके शरीर में बीटा और डेल्टा वेरिएंट से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन चुकी है. जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, पिछले 28 दिनों में दक्षिण अफ्रीका में 3,08,747 मामले सामने आए हैं.


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