डॉ. सुनील भट्ट, उपाध्यक्ष, ऑन्कोलॉजी कॉलेजियम, नारायण हेल्थ ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स
निदेशक और क्लिनिकल लीड बाल चिकित्सा हेमाटोलॉजी, ऑन्कोलॉजी और रक्त और मज्जा प्रत्यारोपण,नारायण हेल्थ सिटी बैंगलोर, भारत
डॉ. सुनील भट्ट का मानना है कि कैंसर आज हमारे समाज में एक अभिशाप बना हुआ है और जहां तक बाल चिकित्सा कैंसर के बारे में सामान्य आबादी में जानकारी लगभग नहीं के बराबर है। जबकि बचपन की कई बीमारियाँ वायरस और बैक्टीरिया के कारण होती हैं। कैंसर की एक और गंभीर चिंतनीय विषय स्वास्थ्य को लेकर हैं जिसके बारे में माता-पिता को पता होना चाहिए, सभी संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जानकारी रखकर अपने बच्चे के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देना एक महत्वपूर्ण पहलू है। हर साल दुनिया भर में 3 लाख से ज़्यादा बच्चों में कैंसर का पता चलता है, जिनमें से लगभग 50000 अकेले भारत में हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में, कैंसर के इलाज और जीवित रहने में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु दर में 69 प्रश की कमी आई है। इसके अलावा, 85 प्रश बच्चे जिन्हें कैंसर का पता चलता है और जिन्हें उचित उपचार और सहायक देखभाल मिलती है, वे अब लंबे समय तक जीवित रहते हैं और ठीक भी हो जाते हैं।
बच्चों में कैंसर कैसे
बच्चों को होने वाला कैंसर कई मायनों में वयस्क कैंसर से महत्वपूर्ण रूप से भिन्न है, जैसे
वयस्क कैंसर के ठीक विपरीत,जहाँ पर्यावरण/जीवनशैली कारक कैंसर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं, बचपन के कैंसर का एक अल्पसंख्यक आनुवंशिक वेरिएंट जैसे डाउन सिंड्रोम या आरबी वन वेरिएंट जीन होने के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो सकता है। हालाँकि बचपन के कैंसर के कई मामले बढ़ती कोशिकाओं के जीन में यादृच्छिक उत्परिवर्तन के कारण होते हैं।
बच्चों में उपचार आमतौर पर बेहतर परिणामों के साथ अपेक्षाकृत जल्द प्रतिक्रिया देते हैं।
कैंसर के उपचार के कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं जो गंभीर और लंबे समय तक चलने वाले भी हो सकते हैं, लेकिन बच्चों को कैंसर मुक्त करने की जो चिकित्सकीय बातें हैं वो जल्द सपोर्टिंग परिणाम देते हैं।
संभावित बातें तो इस ओर आगाह करते हैं
* 2 सप्ताह से अधिक समय तक बिना किसी कारण के बुखार रहना और सामान्य उपचार के बाद भी ठीक न होना।
* बिना कारण के शरीर में पीलापन और अत्यधिक थकान कम हीमोग्लोबिन (लाल रक्त कोशिकाओं) का संकेत हो सकता है।
* सामान्य चोट लगना पर रक्तस्राव की प्रवृत्ति कम प्लेटलेट उत्पादन का संकेत हो सकती है। जैसे कि..त्वचा पर खरोंच, नाक और मसूड़ों से खून आना।
* शरीर में कहीं भी असामान्य गांठ या सूजन। जैसे कि गर्दन में सूजन, पेट में कुछ सख्त महसूस होना।
* पैरों में दर्द और लंगड़ाने की शिकायत (आघात के कारण नहीं)।
* सुबह-सुबह होने वाला सिरदर्द अक्सर बार-बार उल्टी के साथ जुड़ा होता है।
* अचानक आंख या दृष्टि में बदलाव जैसे कि जब आप आंखों में टॉर्च की रोशनी डालते हैं तो सफेद रंग का धुंधलापन दिखाई देना।
-बचपन में होने वाले सबसे आम कैंसर
* ल्यूकेमिया - यह 2 से 6 साल की उम्र के बच्चों में ज़्यादा पाया जाता है और बचपन में होने वाले कैंसर का 30 प्रश हिस्सा इसी का है।
* मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर - यह बच्चों में होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है, जो बच्चों में होने वाले कुल कैंसर के 26 प्रश मामलों में पाया जाता है।
* न्यूरोब्लास्टोमा - न्यूरोब्लास्टोमा के 90 प्रश मामले 5 साल से कम उम्र के बच्चों में देखे जाते हैं।
* नेफ्रोब्लास्टोमा (विल्म्स ट्यूमर) - विल्म्स बचपन के कैंसर के 5 प्रश मामलों में संभावित हो सकते है और यह बच्चे के एक या दोनों गुर्दे में उत्पन्न होता है।
* ओस्टियोसारकोमा (हड्डी का कैंसर) - इस प्रकार का कैंसर बड़े बच्चों में पाया जाता है और निदान की औसत आयु 15 वर्ष है।
उपचार के तरीके
चिकित्सकीय उपचार के माध्यम से बच्चों के कैंसर को दूर किया जा सकता है जैसे
* सर्जरी-कैंसर कोशिकाओं या ट्यूमर को हटाकर।
* कीमोथेरेपी - कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए चिकित्सा दवाओं का उपयोग करके।
* विकिरण चिकित्सा- कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए विकिरण ऊर्जा का उपयोग करके।
* अस्थि मज्जा (स्टेम सेल) प्रत्यारोपण- स्वस्थ स्टेम कोशिकाओं को रक्तप्रवाह में डालकर,ताकि वे नए स्वस्थ रक्त, अस्थि मज्जा और प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं का निर्माण कर सकें।
* सीएआरटी सेल थेरेपी और अन्य इम्यूनोथेरेपी - कैंसर कोशिकाओं पर विशिष्ट प्रोटीन को लक्षित करने और बीमारी से लडऩे के लिए बच्चे की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना।
काफी कठिन समय होता है इस पल से गुजरना
काफी कठिन समय होता है इस पल से गुजरना ठीक वैसे ही जैसे कमरे में हाथी को संबोधित करना..,केवल कैंसर से निदान प्राप्त कर लेना बच्चे या उसके परिवार के लिए काफी नहीं होता है। उपचार का उद्देश्य मनोवैज्ञानिक,भावनात्मक और सामाजिक मुद्दों पर काबू पाना भी महत्वपूर्ण होता है। बच्चों को उनकी बीमारी के बारे में आश्वस्त करना और उपचार के तरीकों को स्पष्ट रूप से समझाना महत्वपूर्ण है। बच्चों को लंबे समय तक अस्पताल में रहने के कारण,आहार विकल्प, कुछ गतिविधियों पर प्रतिबंध और सामाजिक परिवेश के बारे में भी ठीक से समझाया जाना चाहिए। ताकि वे अपने को किसी प्रकार उपेक्षित या कमजोर न समझे। सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी ऐसे परिवार के साथ होना चाहिए ताकि इस प्रकार की समान परिस्थितियों में किसी और किसी भी प्रकार की सहायता या चिकित्सा के लिए मदद मिल सके। प्रभावित बच्चे के भाई-बहनों को डर, भ्रम और ईष्र्या सहित कई तरह की भावनाओं का अनुभव हो सकता है। वे उपेक्षित भी महसूस कर सकते हैं क्योंकि माता-पिता का ध्यान बीमार बच्चे पर केंद्रित हो जाता है। ऐसे में भाई-बहनों के लिए सामान्यता की भावना बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। इसलिए आएं हम सब एक साथ खड़े हों,जागरूकता बढ़ाएं और उपचाररत्त बच्चों व परिजनों का हौसला बढ़ाएं और कैंसरमुक्त भविष्य का संकल्प लें।