धन शोधन कानून में ईडी के अधिकारों से संबंधित पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली

Update: 2024-09-05 03:38 GMT
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को धन शोधन कानून में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारों से संबंधित एक मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई 18 सितंबर तक के लिए टाल दी। विजय मदनलाल चौधरी और अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा यह याचिका दायर की गई है। इसमें 2022 शीर्ष अदालत द्वारा सुनाये गये फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तारी, तलाशी, जब्ती और संपत्ति की कुर्की से संबंधित ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा था।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ से मामले में 18 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।
पीठ में न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार, उज्जल भुयान और रविकुमार भी शामिल थे। हालांकि, बुधवार को जब पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई तो न्यायमूर्ति रविकुमार मौजूद नहीं थे। इसके बाद पीठ ने मामले को अगली तारीख के लिए सूचीबद्ध कर दिया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को अगली तारीख के लिए सूचीबद्ध किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं जताई।
विजय मदनलाल चौधरी और अन्य याचिकाकर्ताओं ने मूल याचिका में पीएमएलए की धारा 50 को चुनौती दी थी, जिस पर तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इस धारा के तहत ईडी को दिये गये अधिकारों पर मुहर लगाई थी। धन शोधन कानून की धारा 50 के तहत ईडी को किसी भी आरोपी को बुलाने और उसके बयान दर्ज करने का अधिकार है।
न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर (अब सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली पीठ ने 2022 को फैसला सुनाया था। पीठ ने गिरफ्तारी, कुर्की, तलाशी और जमानत की शर्तों के संबंध में पीएमएलए के कड़े प्रावधानों की पुष्टि की थी।
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