रिटायरमेंट से पहले जनरल मनोज पांडे को दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर

Update: 2024-06-30 06:25 GMT
नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे रविवार 30 जून को सेवानिवृत्ति हो रहे हैं। कार्यकाल के आखिरी दिन उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उनके सेवानिवृत होने के साथ ही लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी रविवार को ही नए सेना प्रमुख का पदभार संभालेंगे। जनरल मनोज पांडे 26 महीने तक इस पद पर रहे। अपने कार्यकाल के अंतिम दिन उन्होंने वॉर मेमोरियल पर जाकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
अब भारतीय सेना की कमान संभालने जा रहे लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी 30वें सेना प्रमुख होंगे। इससे पहले उन्होंने फरवरी में थल सेना उपाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था। सेनाध्यक्ष के रूप में जनरल द्विवेदी की नियुक्ति को सरकार ने 11 जून को मंजूरी दी थी। सन् 1964 में 01 जुलाई को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को 15 दिसंबर, 1984 को भारतीय सेना की इन्फैंट्री (जम्मू-कश्मीर राइफल्स) में कमीशन मिला था।
लगभग 40 वर्षों की अपनी लंबी और प्रतिष्ठित सेवा के दौरान, वह विभिन्न कमानों, स्टाफ, प्रशिक्षण संबंधी और विदेशी नियुक्तियों में कार्यरत रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी की कमांड नियुक्तियों में रेजिमेंट (18 जम्मू और कश्मीर राइफल्स), ब्रिगेड (26 सेक्टर असम राइफल्स), महानिरीक्षक, असम राइफल्स (पूर्व) और 9 कोर की कमान शामिल हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने सेना उपप्रमुख के रूप में नियुक्ति से पूर्व 2022-24 तक महानिदेशक इन्फैंट्री और जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (मुख्यालय उत्तरी कमान) सहित महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।
सैनिक स्कूल रीवा, नेशनल डिफेंस कॉलेज और यूएस आर्मी वॉर कॉलेज के पूर्व छात्र लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने डीएसएससी वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज, महू में भी अध्ययन किया है।
आज रिटायर्ड हो रहे जनरल मनोज पांडे को 30 अप्रैल 2022 को सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उन्हें दिसंबर 1982 में इंजीनियरों की कोर (बॉम्बे सैपर्स) में कमीशन दिया गया था। सीओएएस के रूप में कार्यभार संभालने से पहले वह थल सेना के उपप्रमुख के रूप में नियुक्त हुए थे।
जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल 31 मई 2024 को समाप्त हो रहा था। हालांकि मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने 26 मई 2024 को उन्हें एक और महीने का सेवा विस्तार देने की मंजूरी दी थी।
नए सेनाध्यक्ष की नियुक्ति में सरकार सरकार द्वारा सीनियरिटी के सिद्धांतों का पूरी तरह से पालन किया गया है।
गौरतलब है कि तीनों सेनाओं के सेनाध्यक्ष 62 साल की उम्र तक या तीन साल के कार्यकाल तक (इनमें से जो भी पहले हो) पद पर बने रह सकते हैं। वहीं लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 वर्ष निर्धारित है।
लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर अग्रणी रहे हैं। उन्होंने सेना की नॉर्दर्न कमांड में तकनीक को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके साथ ही नए सेनाध्यक्ष आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, बिग डेटा एनालिटिक्स, क्वांटम जैसी आधुनिकतम तकनीक के इस्तेमाल की दिशा में भी काम करते रहे हैं। वह सोमालिया में रहे और सेशेल्स सरकार के सैन्य सलाहकार के रूप में काम किया।
इसके साथ ही भारतीय सेना में पहली बार एक साथ पढ़ चुके दो अधिकारी सेना की दो अलग-अलग शाखाओं का नेतृत्व कर रहे हैं। दरअसल लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी और भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी क्लासमेट रह चुके हैं। दोनों 1970 के दशक की शुरुआत में 5वीं कक्षा में एक साथ पढ़े थे। तब जनरल द्विवेदी का रोल नंबर 931 और नौसेना प्रमुख एडमिरल त्रिपाठी का रोल नंबर 938 था।
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