जेनिटल हर्पीस के कारण स्वास्थ्य देखभाल खर्च में विश्व स्तर पर अरबों डॉलर का नुकसान: शोध

Update: 2024-07-02 08:50 GMT
नई दिल्ली: एक शोध में यह बात सामने आई है कि जेनिटल (जननांग) हर्पीस संक्रमण और उससे संबंधित जटिलताओं के कारण स्वास्थ्य देखभाल व्यय में विश्व स्तर पर अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है। यूटा स्वास्थ्य विश्वविद्यालय की एक टीम और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से किया गया यह शोध इस बीमारी की आर्थिक लागत का पहला वैश्विक अनुमान है।
हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस संक्रमण के कारण फैलता है। यह मुख्य रूप से मुंह से प्रवेश करता है। यह मुंह में या उसके आस-पास संक्रमण पैदा कर सकता है। बीएमसी ग्लोबल एंड पब्लिक हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध से पता चला है कि वैश्विक स्तर पर 0-49 आयु वर्ग के लगभग दो-तिहाई लोग (67 प्रतिशत) एचएसवी-1 से पीड़ित हैं।
दुनिया की 15-49 वर्ष की आयु की लगभग 13 प्रतिशत आबादी एचएसवी-2 संक्रमण के साथ जी रही है। शोध में कहा गया है कि एचएसवी सिर्फ घावों और छालों तक सीमित नहीं है। यह अन्य गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, जिसमें प्रसव के दौरान यह मां से बच्चे में आ सकता है। साथ ही इसमें एचआईवी संक्रमण का जोखिम भी बना रहता है।
शोध में हर्पीज संक्रमण की रोकथाम में अधिक निवेश करने के बारे में भी बात की गई है। साथ ही इस आम वायरस के खिलाफ प्रभावी टीके विकसित करने के प्रयास पर भी जोर दिया गया है। शोध पत्र में टीम ने कहा, "जेनिटल (जननांग) एचएसवी संक्रमण और इसके परिणामों की वैश्विक लागत काफी अधिक है।"
उन्होंने कहा, "एचएसवी के रोकथाम से एक बड़े आर्थिक बोझ के साथ इस बीमारी से भी बचा जा सकता है। इसके लिए एचएसवी वैक्सीन के विकास पर काम करना जरूरी है।'' शोध में वैश्विक स्तर और क्षेत्रवार स्‍तर पर जेनिटल हर्पीस से जुड़ी आर्थिक लागत का भी विवरण दिया गया है। धनी देशों को लागत का खामियाजा 27 बिलियन डॉलर भुगतना पड़ा, वहीं कुल लागत का 76.6 प्रतिशत हिस्सा उच्च एवं मध्यम आय वाले देशों में था।
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