रांची: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार की नवगठित मंत्रिपरिषद की शुक्रवार को आयोजित पहली बैठक में कार्यप्रणाली और विभिन्न योजनाओं को लेकर एक्शन प्लान की रूपरेखा तय की गई।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में राज्य को एक बेहतर दिशा देने के लिए 15-16 एजेंडे तय किए गए हैं। प्रत्येक विभाग से लेकर मंत्रियों, अफसरों और कर्मियों तक की जिम्मेदारी और भूमिका तय करने पर व्यापक चर्चा हुई है। बैठक में जितने भी बिंदु सामने आए हैं, हम उन्हें लेकर आगे बढ़ेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सिर्फ राजधानी से नहीं चलेगी, इसके लिए सभी मंत्री जिलों में अपने-अपने विभागों की स्थिति की समीक्षा करेंगे। विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों से भी फीडबैक लिया जाएगा। बैठक में मंत्रियों को निर्देश दिया गया कि वे आप्त सचिव और निजी स्टाफ रखते समय उसकी पृष्ठभूमि जरूर देख लें। किसी भी विवादित चरित्र वाले व्यक्ति को मंत्री कार्यालय में स्थान नहीं मिले, यह सुनिश्चित करें।
तय हुआ कि मंत्रिपरिषद की बैठकों में विभागों की ओर से भेजे जाने वाले प्रस्ताव पर मंत्री स्वयं संतुष्ट हो लें। वित्त विभाग, विधि विभाग और कार्मिक विभाग से भी संपर्क कर लें ताकि प्रस्तावों को मंत्रिपरिषद की बैठक में सही समय पर मुकम्मल तौर पर रखा जा सके।
बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, सभी मंत्री विभागीय कार्यकलाप की समीक्षा के दौरान योजनाओं की बारीकियों और उसके गुण-दोष का अध्ययन करेंगे। वैसी योजनाएं, जो लंबे वक्त से लंबित हैं, उसके कारणों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें पूरा करने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा।
बैठक में यह बात भी सामने आई कि कई योजनाएं ऐसी हैं, जिसमें आज की स्थिति के अनुसार बदलाव जरूरी है। मंत्री इनकी समीक्षा के बाद इस संबंध में सुझाव पेश करेंगे। मंत्रियों को निर्देश दिया गया कि अगर उनके विभाग की कोई योजना राज्य के किसी क्षेत्र में नहीं चल रही है, तो उसके कार्यान्वयन के लिए प्रस्ताव तैयार करें। सुदूरवर्ती, अनुसूचित जनजाति बहुल एवं पहाड़ी क्षेत्रों में योजना को प्रभावी तरीके से धरातल पर उतारने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
मंत्रिपरिषद की बैठक में राजस्व की स्थिति पर भी चर्चा हुई। विभागों को निर्देश दिया गया कि राजस्व स्रोतों की समीक्षा कर इसकी बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव तैयार करें। तय हुआ कि भवन निर्माण की योजनाएं अनावश्यक तौर पर नहीं ली जाएं। निर्माण की ऐसी योजनाएं वास्तविक जरूरतों के आकलन के आधार पर ली जाएं। वर्ष 2025-26 में ली जाने वाली योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने, विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति की स्थिति की समीक्षा, कार्यालयों में कर्मियों की जरूरतों और उनकी पदस्थापना में संतुलन बनाने का निर्णय भी बैठक में लिया गया।
मंत्रिपरिषद ने तय किया है कि प्रत्येक विभाग कोर्ट में लंबित केसों की भी समीक्षा करेगा, ताकि सरकार को ज्यादा से ज्यादा केस में कोर्ट में पराजित न होना पड़े। मंत्रियों को अपने विधानसभा क्षेत्र से बाहर हर जिले में भ्रमण करने और लोगों से मिलकर वहां की समस्याओं से अवगत होने, क्षेत्रीय पदाधिकारियों के बारे में फीडबैक प्राप्त करने का भी निर्देश दिया गया। उन्हें कहा गया है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मिलने के लिए तिथि का निर्धारण करें ताकि सभी को सुविधा हो।