वृद्धजनों को रोजाना कुर्सी योग करने से इन समस्याओं से मिलेगी मुक्ति, यहां जानें तरीका
नई दिल्ली: योग शब्द का अर्थ ही है स्वयं को अपनी आत्मा से जोड़ना। योग के आठ अलग-अलग भाग हैं जिनमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि शामिल है। जब आप इन सभी को करते हैं, तो यह आपको आत्मज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है। योगासन और प्राणायाम कई स्वास्थ्य स्थितियों को ठीक करने और उनके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
विभिन्न योग आसन में कुर्सी योग उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए फायदेमंद है जिन्हें चलने-फिरने में समस्या है। कुर्सी योग मुद्राएं चोटों को रोकने के साथ-साथ आपको सक्रिय रहने में मदद कर सकती है। कुर्सी योग करने के लिए इन तरीकों को अपनाएं।
सीटेड माउंटेन पोज: सीधे बैठें और अपने पैरों को जमीन पर सपाट रखें, घुटनों को टखनों के ऊपर रखें। अपने हाथों को अपनी जांघों पर रखें या उन्हें बगल में रखें, हथेलियां नीचे की ओर। अपने पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करें, छाती को ऊपर उठाएं और रीढ़ को लंबा करें। कुछ समय के लिए इसी अवस्था में रूकें और आराम करें।
बैठे हुए आगे की ओर झुकें : यह मुद्रा पीठ और हैमस्ट्रिंग को फैलाने में मदद करती है और साथ ही मन को शांत भी करती है। अपने पैरों को एक साथ रखकर बैठें और अपने पैरों को जमीन पर सपाट रखें। सांस लें, रीढ़ को लंबा करें और सांस छोड़ें। फिर, आगे की ओर झुकने के लिए कूल्हों पर झुकें, हाथों को पैरों की ओर ले जाएं। कुछ समय के लिए रूकें और फिर आराम करें।
बैठे हुए साइड बेंड : यह मुद्रा रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाने और शरीर के किनारों को फैलाने में मदद करती है। अपने पैरों को जमीन पर सपाट रखकर बैठें। सांस लें, दायां हाथ ऊपर उठाएं और सांस छोड़ें। फिर, बाईं ओर झुकें और बायां हाथ जमीन की ओर बढ़ाएं। कुछ समय के लिए रूकें और दाएं हिस्से में खिंचाव महसूस करें।
बैठे हुए स्पाइनल ट्विस्ट: यह मुद्रा रीढ़ की हड्डी की गतिशीलता को बेहतर बनाने और पाचन में मदद करती है। पैरों को जमीन पर सपाट रखकर कुर्सी पर बगल में बैठें। सांस लें, रीढ़ को लंबा करें और सांस छोड़ें। फिर, धड़ को दाईं ओर मोड़ें, बायां हाथ बाहरी दाएं जांघ पर और दायां हाथ कुर्सी के पिछले हिस्से पर रखें। कुछ समय के लिए रुकें और फिर दूसरी तरफ से दोहराएं।
सीटेड पिजन पोज: यह पोज़ कूल्हों को खोलने और ग्लूट्स और मांसपेशियों को फैलाने में मदद करता है। अपने पैरों को जमीन पर सपाट करके बैठें। दायां टखना उठाएं और इसे घुटने के ठीक ऊपर बाईं जांघ पर रखें। घुटने की सुरक्षा के लिए दायां पैर मोड़कर रखें। सांस लें, रीढ़ को लंबा करें और सांस छोड़ें। फिर, कूल्हों से थोड़ा आगे झुकें। कुछ समय के लिए रूकें और करवट बदलने से पहले आराम करें।
सीटेड कैट-काउ स्ट्रेच : यह पोज़ रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बेहतर बनाने और पेट के अंगों को उत्तेजित करने में मदद करता है। सीधे बैठें और अपने पैरों को ज़मीन पर सपाट रखें। सांस लें और पीठ को मोड़ें (गाय मुद्रा), छाती को ऊपर उठाएं और ऊपर की ओर देखें। सांस छोड़ें, पीठ को गोल करें (बिल्ली मुद्रा), ठोड़ी को छाती से सटाएं। दो स्थितियों के बीच कई सांसों के लिए इसे दोहराएं।
सीटेड वॉरियर II: यह पोज पैरों को मजबूत बनाने और संतुलन और ध्यान को बेहतर बनाने में मदद करता है। कुर्सी पर बगल में बैठे, दायां पैर सहारा लेकर और बायां पैर बगल की ओर फैलाकर रखें और अपने पैर को ज़मीन पर सपाट रखें। अपनी भुजाओं को जमीन के समानांतर फैलाएं, जिसमें आपका दायां हाथ आगे की ओर और बायां हाथ पीछे की ओर हो। कुछ समय के लिए रूकें और फिर आराम करें।