कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के बयान से महाकुंभ की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा : संजय निरुपम
मुंबई: मध्य प्रदेश के महू में रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा नेताओं के महाकुंभ स्नान को लेकर विवादित बयान दिया। खड़गे ने कहा कि क्या गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर हो जाएगी? उनके इस बयान पर शिवसेना नेता और पूर्व सांसद संजय निरुपम ने प्रतिक्रिया जाहिर की। उन्होंने कहा कि महाकुंभ के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व पर कांग्रेस ने बड़ी बेशर्मी से सवाल खड़ा किया है।
संजय निरुपम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "प्रयागराज के जिस महाकुंभ में अब तक 13 करोड़ लोग पवित्र स्नान कर चुके हैं, उसके धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व पर कांग्रेस ने बड़ी बेशर्मी से सवाल खड़ा कर दिया है। यह हिमाकत किसी कार्यकर्ता ने नहीं, स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की है। उन्होंने कहा है कि कुंभ में डुबकी लगाने से क्या गरीबी खत्म हो जाएगी?"
उन्होंने कहा कि खड़गे ने और भी बहुत सारी आपत्तिजनक बातें की हैं। वह मध्यप्रदेश की एक सभा में बोल रहे थे। उस समय मंच पर राहुल गांधी भी उपस्थित थे। खड़गे नास्तिक हैं और मूलत: सनातन विरोधी हैं।
उन्होंने आगे कहा कि सवाल कांग्रेस से है। क्या कांग्रेस अपने अध्यक्ष की बेशर्मी से सहमत है? क्या महाकुंभ का सार्वजनिक विरोध कांग्रेस की अधिकृत नीति है? महाकुंभ से जुड़ी करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाकर कांग्रेस क्या हासिल करना चाहती है? जिस महाकुंभ में दुनियाभर के हिंदू और गैर हिंदू सभी स्नान करने आ रहे हैं, क्या कांग्रेस उस आयोजन को व्यर्थ मानती है?
संजय निरुपम ने आगे कहा कि नेहरू भी कभी कुंभ स्नान करने गए थे, क्या वह खड़गे की नजरों में बकवास था? क्या कांग्रेस इस महाकुंभ का बहिष्कार कर रही है और भाई-बहन स्नान करने नहीं जाएंगे? अगर जाते हैं तो किस मुंह से? क्योंकि उनका अध्यक्ष तो इसे बेमानी बता रहा है। कांग्रेस के भारत की संस्कृति और परंपरा से डिस्कनेक्ट होने का यह नया और भयंकर साक्ष्य है।
मध्य प्रदेश के महू में 'संविधान रैली' को संबोधित करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि अरे भाई, गंगा में डुबकी लेने से गरीबी दूर होती है क्या? क्या इससे आपको पेट भरने के लिए खाना मिलता है? मैं किसी की आस्था पर चोट नहीं लगाना चाहता हूं, अगर किसी को दुख हुआ है तो मैं माफी चाहता हूं। लेकिन, आप बताइए, जब बच्चा भूखा है, बच्चा स्कूल नहीं जा पा रहा है, मजदूर को मजदूरी नहीं मिल रही है, ऐसे समय में ये लोग जाकर हजारों रुपए खर्च करके डुबकियां मार रहे हैं और जब तक टीवी में अच्छा नहीं दिखता, तब तक डुबकी मारते रहते हैं।