सदस्य देशों के साथ जलवायु परिवर्तन को मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में करना चाहिए शामिल : डब्ल्यूएचओ
बाली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएच) ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन मानसिक स्वास्थ्य और मनो-सामाजिक कल्याण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहा है।
इसके साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देशों से इस बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए मानसिक स्वास्थ्य प्रणालियों और सेवाओं को मजबूत करने का आह्वान किया है।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि तेजी से बढ़ते जलवायु परिवर्तन से भावनात्मक संकट, चिंता, अवसाद, शोक और आत्मघाती व्यवहार बढ़ रहा है।
फिर भी मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं और उन्हें संबोधित करने के लिए सेवाओं की उपलब्धता और पहुंच में बड़े अंतराल मौजूद हैं।
डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने कहा, "जलवायु परिवर्तन मानसिक स्वास्थ्य और मनो-सामाजिक कल्याण के लिए कई सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक जोखिम कारकों को बढ़ाता है।"
पिछले सप्ताह इंडोनेशिया में मानसिक स्वास्थ्य पर आयोजित एक क्षेत्रीय कार्यशाला में उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रों में दक्षिण-पूर्व एशिया इस मामले में सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
उन्होंने कहा, "अनुमान के मुताबिक 26 करोड़ लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त हैं और हर साल 2,00,000 से अधिक लोग आत्महत्या कर लेते हैं।"
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। इससे स्वास्थ्य प्रणालियों पर अतिरिक्त बोझ भी पड़ रहा है।
वाजेद ने कहा, "मानसिक स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में ज्ञान और प्रतिक्रिया दोनों में एक बड़ा अंतर है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और अनुकूलन के लिए त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने तथा इस अंतर को और अधिक बढ़ने से रोकने के लिए सदस्य देशों के जलवायु और मानसिक स्वास्थ्य अधिकारियों को एक साथ लाने की स्पष्ट आवश्यकता है।"
2021 में 95 देशों में किए गए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्वे के अनुसार, केवल 9 देशों में ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन योजनाओं में मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक समर्थन को शामिल किया गया था।