पीएम मोदी ने 'मन की बात' में जिनकी तारीफ की, उनसे मिले अश्विनी वैष्णव, जानी सक्सेस स्टोरी
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथियों से मुलाकात की। ये अतिथि वे प्रेरक लोग हैं, जिन्हें 76वें गणतंत्र दिवस परेड के लिए प्रधानमंत्री ने विशेष आमंत्रण दिया था। ये असाधारण व्यक्ति और संस्थाएं शिक्षा, पर्यावरण, सामाजिक कल्याण और नवाचार में महत्वपूर्ण योगदान दे चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इन लोगों का जिक्र 'मन की बात' कार्यक्रम के किसी न किसी एपिसोड में किया था।
इन व्यक्तियों ने शिक्षा, पर्यावरण, सामाजिक कल्याण और नवाचार जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है, जिससे समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है और देश के लाखों लोगों को प्रेरणा मिली।
इस विशेष अतिथियों से मुलाकात के बात सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "यह बहुत खुशी की बात है कि 'मन की बात' प्रोग्राम में प्रधानमंत्री मोदी ने जिन लोगों के बारे में देश के लोगों बताया, वे सब आज हमारे साथ हैं। मुझे इन सब लोगों से मिलकर बहुत खुशी हो रही है। प्रधानमंत्री 'मन की बात' के जरिए दुनिया के लोगों की सकारात्मक बातें आम लोगों तक पहुंचाने का यज्ञ कर रहे हैं। मैं उनको धन्यवाद देता हूं। मैं इन सभी लोगों को भी धन्यवाद देता हूं।"
साल 2011 में राजस्थान के सीकर में एक एनजीओ शुरू करने वाली सुलोचना कुमावत ने बताया, "हमने 2011 में अपना सिलाई सेंटर चालू किया था। यह एनजीओ था। साल 2018 में पीएम मोदी ने हमारी कहानी 'मन की बात' कार्यक्रम में सुनाई थी। जो बच्चियां कचरा बीनती थीं, उनको प्रशिक्षित करने के लिए मैंने यह सेंटर शुरू किया था। अब मेरे पास बहुत से बच्चे हैं। हम उन बच्चियों को झुग्गियों से निकाल कर लाते थे और उनको यहां प्रशिक्षित करते थे।"
गुजरात से आई बुजुर्ग महिला मुक्ता बताती हैं, "प्रधानमंत्री मोदी ने मेरा नाम 'मन की बात' प्रोग्राम में लिया, मुझे बहुत अच्छा लगा। पीएम मोदी देश के लिए छोटे-छोटे काम करने वाले लोगों का ध्यान रखते हुए सबको ऊपर लाने का सराहनीय काम कर रहे हैं। मैं इसके लिए उन्हें धन्यवाद देती हूं।"
उत्तराखंड के नैनीताल से आए शुभम बधानी ने कहा, "हम लोग अपनी टीम के माध्यम से नैनीताल के दुर्गम पर्वतीय गांवों में घोड़ा लाइब्रेरी चला रहे हैं। घोड़ा लाइब्रेरी से मतलब यह है कि हम लोग चलती-फिरती लाइब्रेरी को उन लोगों तक पहुंचाते हैं जहां आज भी सड़कें नहीं हैं। खराब मौसम में भी हमारी लाइब्रेरी हर घर-पगडंडी के लोगों तक जाती है। हम लोग बच्चों और महिलाओं को निःशुल्क साहित्य की पुस्तकें उपलब्ध करा रहे हैं। अभी हमारा फोकस बाल साहित्य पर है। आगे हम और भी चीजें करेंगे।"
हरियाणा के यमुनानगर से आए सुभाष कंबोज बताते हैं, "मैं पिछले 28 साल से मधुमक्खी पालन का काम कर रहा हूं। पहले मैंने अपने इस्तेमाल के लिए पांच डिब्बे रखे थे। फिर जब मैंने देखा कि मधुमक्खियों के साथ-साथ शहद भी बढ़ रहा है तो मैंने इसे बढ़ा दिया। आज मेरे पास 2000 से ज्यादा मधुमक्खियों के डिब्बे हैं। अब मैं इसके पालन के लिए लोगों को ट्रेनिंग देता हूं। सरकार किसानों को, विशेषज्ञों को ट्रेनिंग देने के लिए मुझे आईआईएम सहित तमाम जगहों पर भेजती है। प्रधानमंत्री 'मन की बात' कार्यक्रम में मेरी दो बार तारीफ कर चुके हैं।"