बीते वर्ष दुनिया भर में बांटी गई 400 करोड़ वैक्सीन भारत में हुई निर्मित : स्वास्थ्य सचिव

Update: 2024-10-17 06:37 GMT
नई दिल्ली: पिछले एक वर्ष में दुनिया भर में कुल 800 करोड़ वैक्सीन का निर्माण और वितरण हुआ। इनमें से दुनिया भर में बांटी गई कुल 400 करोड़ वैक्सीन भारत में निर्मित हुईं। वार्षिक इंडिया लीडरशिप समिट 2024 को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने यह जानकारी दी। वार्षिक इंडिया लीडरशिप समिट 2024 को यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम द्वारा आयोजित किया गया था।
समिट को संबोधित करते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि भारत फार्मास्यूटिकल्स में ग्लोबल लीडर के रूप में उभरा है। देश जेनेरिक दवाओं का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि दुनिया भर में बांटे गए सभी वैक्सीन में से आधे का निर्माण भारत में किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले एक वर्ष में दुनिया भर में निर्मित और वितरित 800 करोड़ वैक्सीन खुराक में से 400 करोड़ भारत में निर्मित की गईं।’’ श्रीवास्तव ने कहा कि दुनिया भर में हेल्थकेयर सिस्टम को सपोर्ट देने के अलावा, भारत ने अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम में भी अपना योगदान दिया है।
उन्होंने कहा, "भारत में अमेरिका के बाहर अमेरिकी एफडीए द्वारा मंजूर फार्मास्यूटिकल्स प्लांट की सबसे अधिक संख्या है, जो कि कुल संख्या का 25 प्रतिशत है।" उन्होंने कहा कि देश वैक्सीन उत्पादन में भी अग्रणी है, वैश्विक विनिर्माण में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी के साथ, "विश्व की फार्मेसी" के रूप में इसकी भूमिका खास है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भारत ने एक मजबूत हेल्थ केयर सिस्टम के लिए मेडिकल एजुकेशन में सुधार किया है। इन सुधारों में पुराने रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को नए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम और संबंधित कानूनों से बदलना शामिल है।
इससे न केवल मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों की संख्या और नामांकन में वृद्धि हुई है, बल्कि स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की उपलब्धता में असमानताएं भी दूर हुई हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि यह सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण संभव हुआ है, जिससे भारत में स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता, पैमाने और लागत प्रभावशीलता में सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा, "यह हमारी विस्तार की गई स्वास्थ्य सेवाओं का प्रमाण है कि पूरी तरह से परिवारों द्वारा वहन किया जाने वाला आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (ओओपीई) में 2013-2014 और 2021-2022 के बीच कुल स्वास्थ्य व्यय के हिस्से के रूप में 25 प्रतिशत अंकों की गिरावट आई है।"
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