कई खगोल वैज्ञानिकों का दावा- शुक्र ग्रह के बादलों में मिल रहे जीवन के संकेत, ये है वजह

Update: 2020-09-15 09:37 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। खगोल वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये जीव शुक्र ग्रह की 425 डिग्री सेल्सियस गर्म सतह से 50 किलोमीटर की ऊंचाई पर बादलों में मौजूद हैं। टीम के प्रमुख जेन ग्रीव्स के अनुसार फॉस्फाइन का पता जेम्स क्लर्क मैक्सवेल दूरबीन से लगाया गया है। जर्नल नेचर एस्ट्रोनॉमी में सोमवार को प्रकाशित लेख के अनुसार, चिली में एक और दूरबीन एल्मा से भी यही फॉस्फाइन देखी गई।

वैज्ञानिकों के दल में इंग्लैंड, अमेरिका, जापान सहित कई देशों के विशेषज्ञ हैं। हालांकि, कई वैज्ञानिक इस पर संशय भी जता रहे हैं। इसकी एक वजह बादलों पर 90 फीसदी सल्फ्यूरिक एसिड की मात्रा है, जिसमें जीवन नहीं हो सकता। खगोलविदों के अनुसार, शुक्र के इन बादलों में फॉस्फाइन मिली है।

उन्होंने अपनी गणना के आधार पर कहा कि यह मात्रा सूर्य के प्रकाश, ग्रह पर मौजूद खनिजों, ज्वालामुखी, आकाशीय बिजली आदि से नहीं आ सकती। उनका अनुमान है कि एक कोशिका के सूक्ष्मजीव इन बादलों में रहते हुए हाइड्रोजन के तीन और फॉसफोरस के एक अणु से बनने वाला फॉस्फाइन बादलों में फैला रहे हैं।

इन बादलों पर तापमान करीब 30 डिग्री सेल्सियस रहता है, जो जीवन के अनुकूल है। पृथ्वी पर भी सूक्ष्मजीवी फॉस्फाइन बनाते हैं, जो अक्सर तालाबों के तल और कुछ जीवों की आंतों में मिलता है।

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