चीन और अमेरिका की लड़ाई में बुरी तरह फंसा नेपाल, तय की बाइडेन सरकार ने MCC 'समझौते' की डेट, एक 'ना' से होगा बड़ा नुकसान
चीन और अमेरिका की लड़ाई में नेपाल बुरी तरह फंस गया है. बाइडेन सरकार ने मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन पर फैसला करने के लिए अंतिम समयसीमा तय कर दी है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन और अमेरिका (China US Fight) की लड़ाई में नेपाल बुरी तरह फंस गया है. बाइडेन सरकार ने मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (Millennium Challenge Corporation) पर फैसला करने के लिए अंतिम समयसीमा तय कर दी है. अमेरिका ने कहा है कि अगर नेपाल इस समझौते की पुष्टि करने में विफल रहता है तो इसे वापस ले लिया जाएगा. नेपाल (Nepal) की अर्थव्यवस्था एमसीसी समझौते से पहले ही चरमरा रही है. दूसरी तरफ उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रही अमेरिकी सहायता से भी हाथ धोना पड़ सकता है. ऐसा कहा जा रहा है कि चीन के दबाव के कारण नेपाल बीते पांच साल से इस समझौते को अंतिम मंजूरी नहीं दे रहा है.
नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Prime Minister Sher Bahadur Deuba) मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन को लेकर अपने गठबंधन के सहयोगियों के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इसमें उन्हें कामयाबी नहीं मिल पा रही. एमसीसी समझौते की बात करें, तो इसे साल 2017 में अमेरिका और नेपाल के साइन किया था. लेकिन इसे अभी तक नेपाल की संसद से मंजूरी नहीं मिली है. प्रावधान के अनुसार एमसीसी समझौते को लागू करने के लिए नेपाल की संसद की मंजूरी की जरूरत है.
अमेरिकी मदद हाथ से निकल सकती है
अब अमेरिका के एमसीसी मुख्यालय ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर आगे समझौते में और देरी होती है, तो नेपाल को मिलने वाला अमेरिकी अनुदान खत्म हो जाएगा. नेपाल के प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के सहयोगियों सीपीएन नेता पुष्प कमल दहल को लिखे खत में कहा गया है कि संसद में समझौते पर समर्थन के लिए अमेरिका नेपाल को 28 फरवरी तक की समयसीमा दे रहा है. एमसीसी बोर्ड के निदेशक ने कहा कि अगर 28 फरवरी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया तो एमसीसी बोर्ड अगले कदम पर फैसला लेने के लिए 22 मार्च को बैठक करेगा.
अमेरिका ने 50 करोड़ डॉलर देने को कहा
अगर नेपाल 28 फरवरी तक समझौते पर सहमति व्यक्त नहीं करता है, बोर्ड के पास नेपाल को दी जाने वाली लाखों डॉलर की सहायता को समाप्त करने का अधिकार होगा. इसी के साथ एमसीसी का नेपाल के साथ किया समझौता भी खत्म हो जाएगा. एमसीसी प्रोजेक्ट के तहत अमेरिका नेपाल को आर्थिक मदद देगा. अमेरिका 50 करोड़ डॉलर देने पर राजी हो गया था, जबकि नेपाल खुद 13 करोड़ डॉलर का निवेश करता. इसकी मदद से नेपाल एक पावर ट्रांसमिशन लाइन और 300 किमी सड़कों को अपग्रेड करने वाला था. इसके पीछे का उद्देश्य नेपाल से चीनी प्रभाव को कम करना था. यही वजह है कि चीन समर्थक नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली लगातार इस समझौते का विरोध कर रहे थे.