मणिपुर की तुलना राजस्थान और छत्तीसगढ़ से करना गलत: विपक्ष

Update: 2023-07-25 08:01 GMT
नई दिल्ली: मणिपुर में हिंसा का मुद्दा मंगलवार को भी राज्यसभा में छाया रहा। राज्यसभा के कुल 50 सांसदों ने नियम 267 के तहत सदन में चर्चा कराने की मांग की। विपक्ष का कहना है कि 2 महीने से अधिक समय से मणिपुर में हिंसा जारी है। कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम ने सभापति से कहा कि ये सभी नोटिस आज के लिए दिए गए हैं। ऐसे में सदन को मणिपुर हिंसा पर नियम 267 के तहत चर्चा करनी चाहिए।
वहीं सरकार की ओर से नेता सदन पियूष गोयल ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर चर्चा कराने की बात कही। सरकार द्वारा राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर चर्चा कराने की बात पर विपक्ष ने हैरानी जाहिर की। राज्यसभा सांसद मनोज झा कहा कि मणिपुर में बीते 2 महीने से हिंसा और नरसंहार हो रहा है। उन्होंने आश्चर्य प्रकट करते हुए ऐसे में मणिपुर के साथ राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ की तुलना कैसे की जा सकती है। झा ने कहा हम मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहे हैं क्योंकि वहां नरसंहार हो रहा है लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कोई नरसंहार की स्थिति नहीं है। ऐसे में मणिपुर की तुलना इन राज्यों से करना गलत है।
उधर दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा कि सरकार राजस्थान और छत्तीसगढ़ में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अत्याचार के नोटिसों पर चर्चा के लिए भी तैयार है। पूरे देश में, अगर महिलाओं के खिलाफ कोई अपराध है, तो सरकार चर्चा के लिए तैयार है। हमें इन मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए। मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने अपनी ही पार्टी के संजय सिंह के निलंबन पर प्रश्न भी उठाया। राघव ने कहा कि राज्यसभा में कितने सांसद संजय सिंह के निलंबन के पक्ष में है और कितने इस निलंबन के विरोध में हैं इस मामले पर वोटिंग होनी चाहिए।
राघव ने सभापति से कहा कि सोमवार को जब यह निर्णय लिया जा रहा था तब भी मैंने इस निर्णय से पहले वोटिंग की मांग की थी। हालांकि सभापति ने राघव से कहा कि अभी आप में हो, आपको नियम व कार्रवाई के बारे में वरिष्ठ साथियों से मार्गदर्शन लेना चाहिए। वहीं विपक्षी सांसदों ने एक बार फिर नियम संख्या 267 के तहत मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराने की मांग की। वहीं सभापति ने कहा कि मणिपुर हिंसा पर चर्चा की स्वीकृति दी जा चुकी है। चर्चा के लिए व्यवस्था सत्र के पहले ही दिन दे दी गई थी। हालांकि विपक्षी सांसद इससे संतुष्ट नहीं है। विपक्षी सांसदों का कहना है कि सभापति व सरकार शॉर्ट ड्यूरेशन डिस्कशन के लिए राजी हुए हैं। विपक्ष की मांग है कि नियम 267 के तहत मणिपुर पर चर्चा हो जिसमें प्रधानमंत्री सदन में आकर इस मुद्दे पर अपना बयान दें और चर्चा के अंत में वोटिंग भी करवाई जा सकती है।
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