महिला ने शरीयत कानून पर उठाए सवाल, सुप्रीम कोर्ट पहुंची

Update: 2023-03-18 02:14 GMT

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एक मुस्लिम महिला ने याचिका दाखिल कर शरीयत कानून में महिलाओं के साथ संपत्ति के बंटवारे में भेदभाव का आरोप लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए नोटिस भी जारी किया है. महिला की याचिका में कहा गया है कि शरीयत कानून में महिलाओं को पैतृक संपत्ति में पुरुष वारिसों के समान अधिकार नहीं मिलता. इस भेदभाव को दूर करने की जरूरत है. देश के संविधान में महिलाओं को समानता का अधिकार दिया गया है. इसके बाद भी मुस्लिम महिलाएं भेदभाव का शिकार हो रही हैं. यह याचिका बुशरा अली नाम की महिला ने दाखिल की है. उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 भाई-बहनों को नोटिस जारी किया है. इनमें चार बहनें शामिल हैं. यानी एक माता पिता से सात भाई और चार बहनें.

दरअसल केरल हाई कोर्ट ने 6 जनवरी को इस मामले में शरीयत कानून के पक्ष में फैसला सुनाया था. बुशरा ने केरल हाई कोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बुशरा की याचिका में कहा गया है कि परिवार में संपत्ति के बंटवारे में उन्हें पुरुष सदस्यों की तुलना में आधी हिस्सेदारी ही मिली थी. इसी को आधार बनाते हुए उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ कानून के सेक्शन 2 को चुनौती दी है.

बुशरा ने अर्जी में कहा है कि यह संविधान के अनुच्छेद- 15 का उल्लंघन है. ये अनुच्छेद जाति, धर्म या जेंडर यानी लिंग के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव को रोकता है. बुशरा ने कहा है कि शरीया कानून का यह भेदभाव संविधान के आर्टिकल -13(1) का भी उल्लंघन करता है.

बता दें कि संविधान के आर्टिकल-13 में प्रावधान है कि भारत में संविधान से पहले जो भी कानून थे, वह संविधान के दायरे में होंगे. अगर वह पर्सनल लॉ या अन्य कानून मौलिक अधिकार का हनन करते हैं तो वह कानून अमान्य होगा. संविधान ही सुप्रीम तौर पर में होगा. संविधान का अधिकार क्षेत्र ही सुप्रीम होगा.


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