नई दिल्ली: पीरियड्स से जुड़ी तमाम तरह की सामाजिक वर्जनाएं हैं. लोग इस मुद्दे पर खुलकर बात करने से हिचकिचाते हैं. ऐसे में एक महिला आईएएस अधिकारी ने इस टॉपिक पर ट्वीट कर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है.
अपने ट्वीट के जरिए उन्होंने बताया कि पीरियड्स/माहवारी समाज में वर्जित विषय नहीं होना चाहिए. उनके इस ट्वीट को हजारों लोगों ने लाइक किया है. साथ ही ट्विटर पर उनके #RedDotChallenge को सपोर्ट किया है.
दरअसल, Menstrual Hygiene Day के मौके पर IAS सोनल गोयल द्वारा किया गया ट्वीट वायरल हो गया. उन्होंने अपने ट्वीट में Menstruation को लेकर जागरूकता फैलाने की कोशिश की है.
IAS सोनल गोयल अपने ट्वीट में लिखती हैं- 'मासिक धर्म एक नेचुरल बायोलॉजिकल प्रोसेस है, जिसे प्रजनन आयु की प्रत्येक लड़की या महिला अनुभव करती है. आइए मासिक धर्म को लेकर सामाजिक कलंक को समाप्त करें और Menstrual के दौरान सफाई और स्वच्छता को प्रोत्साहित करें.'
इस पोस्ट के साथ IAS सोनल गोयल ने हैशटैग #RedDotChallenge का भी इस्तेमाल किया है. साथ ही लोगों से इस कैपेंन को सपोर्ट करने की अपील की है.
महिला IRS अधिकारी अमनप्रीत ने भी महिलाओं के पीरियड को लेकर एक कैंपेन चलाया है, जिसके लिए उनकी तारीफ हो रही है. अपने एक ट्वीट में वो लिखती हैं- 'मेरे आने वाले जन्मदिन पर जब मैं 38 वर्ष की हो जाऊंगी, तो मैं देश भर में 38 स्थानों पर मासिक धर्म स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करूंगी. अगर कोई मुझसे जुड़ना चाहता है, तो मैसेज कर सकता है.
महिला अधिकारी के ट्वीट पर तमाम यूजर्स ने रिएक्ट किया है. लोगों ने उनके ट्वीट की तारीफ की है. यूजर्स का कहना माहवारी के दौरान सफाई और स्वचछता पर बात करनी होगी और लोगों को जागरूक करना होगा. पीरियड को लेकर जो सामाजिक वर्जनाएं हैं, उस पर चर्चा की जानी चाहिए है, क्योंकि मासिक धर्म एक नेचुरल प्रोसेस है.
एक यूजर (@AnanyaJamwal2) ने लिखा- 'मासिक धर्म एक जैविक प्रक्रिया है, यही कारण है कि मैं, आप और हम सब पैदा हुए हैं. आइए मासिक धर्म के कलंक को बुरा मानकर तोड़ दें.' United Nations ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट किया है. अपने ट्वीट में यूएन ने लिखा कि मासिक धर्म मानव जीव विज्ञान का एक सामान्य हिस्सा है. यह सांस लेने की तरह ही स्वाभाविक है.
गौरतलब है कि पीरियड्स/माहवारी को लेकर समाज में धीरे-धीरे जागरूकता आ रही है, लेकिन अभी लोगों को इस बारे में और अवेयर किया जाना बाकी है, ताकि इससे जुड़ी सामाजिक वर्जनाएं पूरी तरह से दूर हो सकें.