क्या देश में लागू हो पाएगा यूनिफॉर्म सिविल कोड? मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का आया ये बयान

Update: 2022-04-27 03:49 GMT

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नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने समान नागरिक संहिता (UCC) को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम बताया है. बोर्ड ने कहा कि मुद्रास्फीति, अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी से ध्यान हटाने के लिए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार द्वारा यह कानून लाने की बात कही जा रही है. मालूम हो कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में सत्ता में आने पर UCC को लागू करने का वादा किया था.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र सरकार से समान नागरिक संहिता न लाने की अपील की है. AIMPLB के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत के संविधान ने देश के हर नागरिक को अपने धर्म के अनुसार जीवन जीने की अनुमति दी है और इसे मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया है. इस अधिकार के तहत अल्पसंख्यकों और आदिवासी वर्गों के लिए उनकी इच्छा और परंपराओं के अनुसार अलग-अलग पर्सनल लॉ बनाए गए हैं, जिनसे देश को कोई नुकसान नहीं होता है. बोर्ड ने कहा कि यह बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के बीच आपसी एकता और विश्वास बनाए रखने में मदद करता है.
बोर्ड ने कहा कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश सरकार या केंद्र सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता की बात करना बढ़ती महंगाई, गिरती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने और नफरत के एजेंडे को बढ़ाने की कोशिश है. बोर्ड ने सरकार से इस तरह की हरकतों से बचने की अपील की है.
मामलू हो कि उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह ने कहा है कि राज्य के लिए समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा. वहीं हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य में UCC लागू करने के मुद्दे की जांच की जा रही है.
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