मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान अभिनेता नाना पाटेकर को बताया कि आखिर उन्होंने क्यों शिवसेना को तोड़ दिया। नाना के द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में शिंदे ने कहा, ''कुछ चीजों की सहनशीलता की सीमा होती है, लेकिन जब पानी सिर के ऊपर से चला जाता है तो निर्णय लेना पड़ता है। हमने जो किया है उसकी वजह से हम खुश नहीं हैं।''
आपको बता दें कि शिंदे 'लोकमत' द्वारा आयोजित 'महाराष्ट्र महामूलाखत' में नाना पाटेकर के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस दौरान शिंदे ने भावनात्मक और राजनीतिक कारणों के बारे में विस्तार से बताया कि आखिर उन्होंने शिवसेना से बगावत क्यों की।
एकनाथ शिंदे ने कहा, "जिस पार्टी में हमने इतने साल काम किया, हमने कड़ी मेहनत की, खून-पसीना बहाया, अथक परिश्रम किया, उसने हमारे अनुरोध पर कभी ध्यान नहीं दिया। इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि हम काम के बाद घर पहुंचेंगे। फिर भी हमने हर संभव कोशिश की। जब कुछ गलत हुआ तो हमें निर्णय लेना पड़ा। हमनें निर्णय इसलिए लिया क्योंकि पार्टी अपनी पहचान खो रही थी। हमने पार्टी को बचाने के लिए निर्णय लिया। मुझे लगता है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है।''
एकनाथ शिंदे ने कहा कि हमने पांच बार अनुरोध किया था। एक अवसर था, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। मैं बालासाहेब और आनंद दिघे का कार्यकर्ता हूं, इसलिए मैंने यह बड़ा कदम उठाया।
एकनाथ शिंदे ने धनुष-बाण चुनाव चिन्ह मिलने के पीछे का गणित समझाया। उन्होंने कहा, "हमें चुनाव चिन्ह के बारे में किसी को बताने की जरूरत नहीं है। हम इसे योग्यता के आधार पर प्राप्त करेंगे। चुनाव आयोग अंधेरी के उपचुनाव के कारण निर्णय नहीं ले सका। लेकिन हमें भविष्य में धनुष-बाण मिलेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि 55 में से 40 विधायक हमारे साथ हैं। उनके वोटों की गिनती 39 लाख है। साथ ही 18 में से 12 सांसद हमारे साथ हैं और उनकी वोट गिनती 69 लाख है। इसका मतलब है कि हमारे पास शिवसेना को मिले कुल वोटों का 70 प्रतिशत से अधिक है।''
एकनाथ शिंदे ने कहा कि लोकतंत्र में बहुमत का सम्मान किया जाता है। इसी आधार पर धनुष और तीर का निशान हमें दिया जाएगा।