कन्हैया कुमार की छुट्टी मनाते तस्वीरों पर क्यों छिड़ी है बहस?

कन्हैया कुमार की तस्वीरों पर क्यों छिड़ी है बहस

Update: 2021-10-21 16:42 GMT

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (सीपीआई) छोड़कर कांग्रेसी नेता बने कन्हैया कुमार द्वारा एक इंस्टाग्राम पोस्ट में मंगलवार को पहाड़ियों में छुट्टियां मनाते हुए डाली गई तस्वीर के बाद कई लोग उन पर कटाक्ष कर रहे हैं. उनसे सवाल किया जा रहा हैं कि वह पहाड़ों में छुट्टियां मनाने के बजाय अपनी नई पार्टी की नींव मजबूत करने के लिए सड़कों पर क्यों नहीं उतर रहे हैं.

एक ओर जहां कुछ लोगों ने उनकी कम्युनिस्ट कार्यकर्ता वाली साख पर कटाक्ष किया, वहीं कई लोगों ने कन्हैया का बचाव करते हुए कहा कि उन्हें आराम करने और अपने लिए समय निकालने का पूरा अधिकार है.


कन्हैया कुमार द्वारा शेयर की गई तस्वीर में इस युवा नेता को पहाड़ों में बने एक कमरे में खूबसूरत नजारे को निहारते हुए और किताब पढ़ते हुए देखा जा सकता है.
इस तस्वीर के कैप्शन में बशीर बद्र का शेर है: 'मैं चुप रहा तो और ग़लतियां बढ़ीं/वो भी सुना है उसने जो मैंने कहा नहीं.'
एक ट्विटर हैंडल ने कन्हैया कुमार की पोस्ट का एक स्क्रीनशॉट साझा किया और लिखा: 'यह कुछ ऐसा जो सीपीआई नेता कन्हैया कुमार पोस्ट नहीं कर सके, लेकिन कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के लिए इसे पोस्ट करना स्वाभाविक सा है.'
एक अन्य ट्विटर यूज़र ने कहा, '@kanhaiyakumar के लिए एक नया उपनाम 'बेगूसराय का बुर्जुआ' हो सकता है,' इसमें बिहार के बेगूसराय में कुमार की साधारण पृष्ठभूमि चुटकी ली गई है .

एक तीसरे ट्विटर यूजर ने लिखा, 'निश्चित रूप से लॉन्ग मार्च पर तो नहीं बल्कि ऐसे लॉन्ग मार्च पर जिसकी कोई मंजिल नहीं.' इसमें 1934 और 1936 के बीच चीन के रेड आर्मी द्वारा किए गए 'द लॉन्ग मार्च' का जिक्र किया गया है जो कुओमिन्तांग शासन का मुकाबला करने के लिए पीपुल्स रिपब्लिक की नींव रख रहा था.

कन्हैया पिछले महीने ही बड़ी धूमधाम से सीपीआई को, जिसके साथ वह अपने छात्र राजनीति के दिनों से जुड़े थे, उसे छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

'इस तस्वीर की वजह से हर कोई उत्तेजित क्यों हैं?'
कई ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने उन लोगों का भी मज़ाक उड़ाया, जिन्हें कन्हैया का इस तरह छुट्टियां मनाना अजीब लग रहा है.

एक ट्वीटर यूज़र ने लिखा 'आखिर #KanhaiyaKumar की ये तस्वीर सभी को क्यों उत्तेजित कर रही है? इतनी सुन्दरता से ओतप्रोत वातावरण में कोई व्यक्ति बैठकर किताब क्यों नहीं पढ़ सकता? या फिर ऐसा इसलिए है क्योंकि हम उनकी जैसी पृष्ठभूमि से उठकर किसी का ऐसी जगहों पर पहुंचने को स्वीकार नहीं कर सकते हैं? क्या इसलिए हम इसमें भी पावर्टी पोर्न तलाश रहे हैं.
कन्हैया के बचाव में सामने आए एक और सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, 'मैं भी कन्हैया कुमार के सीपीआई छोड़ने पर उतना ही निराश हूं. लेकिन मैं इस तस्वीर को पोस्ट करने के लिए उन्हें ट्रोल करने वालों के साथ नहीं हूं. उनकी राजनीति के लिए उनकी आलोचना करें, पर आपको किसी अच्छे से होटल के कमरे में बैठने के लिए उन्हें जज करने या ऑडिट करने का कोई अधिकार नहीं है.
बता दें कि कन्हैया को कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए लगभग एक महीना हो चुका है, लेकिन उन्हें अभी तक पार्टी में कोई पद नहीं दिया गया है. नाम न जाहिर करने की शर्त पर कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि उन्हें 'बहुत जल्द' पार्टी रैंक में समायोजित किया जाएगा और 'तब वो भी काम पर लग जाएंगे.'
हमारे न्यूज़ रूम में योग्य रिपोर्टरों की कमी नहीं है. देश की एक सबसे अच्छी एडिटिंग और फैक्ट चैकिंग टीम हमारे पास है, साथ ही नामचीन न्यूज़ फोटोग्राफर और वीडियो पत्रकारों की टीम है. हमारी कोशिश है कि हम भारत के सबसे उम्दा न्यूज़ प्लेटफॉर्म बनाएं. हम इस कोशिश में पुरज़ोर लगे हैं.

दिप्रिंट अच्छे पत्रकारों में विश्वास करता है. उनकी मेहनत का सही वेतन देता है. और आपने देखा होगा कि हम अपने पत्रकारों को कहानी तक पहुंचाने में जितना बन पड़े खर्च करने से नहीं हिचकते. इस सब पर बड़ा खर्च आता है. हमारे लिए इस अच्छी क्वॉलिटी की पत्रकारिता को जारी रखने का एक ही ज़रिया है– आप जैसे प्रबुद्ध पाठक इसे पढ़ने के लिए थोड़ा सा दिल खोलें और मामूली सा बटुआ भी.

अगर आपको लगता है कि एक निष्पक्ष, स्वतंत्र, साहसी और सवाल पूछती पत्रकारिता के लिए हम आपके सहयोग के हकदार हैं तो नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें. आपका प्यार दिप्रिंट के भविष्य को तय करेगा.
Tags:    

Similar News

-->