WHO की चीफ साइंटिस्ट की नई चेतावनी: अगले 6-18 महीने भारत के लिए बेहद अहम, मुश्किल पड़ाव बाकी, पढ़े पूरा इंटरव्यू

Update: 2021-05-17 09:31 GMT

कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने भारत में तबाही मचा रखी है. इस जानलेवा वायरस से देश में रोजाना तकरीबन 4000 लोगों की मौत हो रही है. इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कोविड-19 महामारी की आगामी लहरों को लेकर चेतावनी जारी की है. उन्होंने कहा है कि आने वाले वक्त में कोरोना की और लहरें भारत की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं. डॉ. सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि कोरोना से जंग में अगले 6-18 महीने भारत के प्रयासों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण रहने वाले हैं.

द हिंदू को दिए एक ऑनलाइन इंटरव्यू में डॉ. स्वामीनाथन ने कहा, 'महामारी की इस जंग में बहुत कुछ वायरस के विकास पर भी निर्भर करता है. वेरिएंट्स के खिलाफ वैक्सीन की क्षमता और वैक्सीन से बनने वाली इम्यूनिटी कितने समय तक लोगों का बचाव करती है, ये काफी मायने रखता है. इसमें बहुत कुछ बदल रहा है.'
उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि महामारी के इस घातक चरण का निश्चित तौर पर एक अंत होगा. साल 2021 के अंत तक हम ऐसा देख सकते हैं, जब दुनिया की तकरीबन 30 फीसद आबादी वैक्सीनेट हो जाए. यही वो समय होगा जब हम लगातार हो रही मौतों में गिरावट देखना शुरू करेंगे.' इसके बाद 2022 में वैक्सीनेशन में तेजी आ सकती है.
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि हम सब महामारी के एक चरण से गुजर रहे हैं, जहां अभी भी कई मुश्किल पड़ाव बाकी हैं. हमें अगले 6 से 12 महीनों तक अपने प्रदर्शन पर ध्यान देना होगा, जो कि बेहद कठिन समय हो सकता है. इसके बाद ही नियंत्रण या उन्मूलन को लेकर लॉन्ग टर्म प्लान के लिए बात करनी चाहिए. हम जानते हैं कि वैक्सीन से बनने वाली इम्यूनिटी और नैचुरल इंफेक्शन से बनने वाली इम्यूनिटी कम से कम आठ महीने तक रहती है. जैसे-जैसे समय बीतता है, हम ज्यादा से ज्यादा डेटा कलेक्ट करते हैं.
इलाज के प्रोटोकॉल्स पर टिप्पणी करते हुए डॉ. स्वामीनाथन ने कहा, 'लोगों के लिए ये समझना बहुत जरूरी है कि एक गलत ड्रग का गलत समय पर इस्तेमाल करने से उन्हें फायदे से ज्यादा नुकसान झेलने पड़ सकते हैं. अब आमतौर पर इस्तेमाल की जा रही दवाओं का कोई असर नहीं दिख रहा है.' उन्होंने कहा कि कोई भी देश बीमारी से निपटने के लिए WHO के प्रोटोकॉल्स का सहारा ले सकता है.
डॉ. स्वामीनाथन ने बताया कि B1.617 कोरोना का अत्यधिक संक्रामक वेरिएंट है. वेरिएंट्स मूल रूप से वायरस के म्यूटेट या विकसित वर्जन होते हैं और इसलिए इसके वायरल जीनोम में परिवर्तन होते रहते हैं. और ये बड़ी सामान्य सी बात है. RNA वायरस जैसे-जैसे मल्टीप्लाई होते हैं, वायरस को अपनी ही नकल (रेप्लीकेट) करने में मदद मिलती है. ये वायरस में थोड़ा बदलाव लाता है. ये मूल रूप से एक एरर है जिसका कोई खास महत्व नहीं है. ये किसी भी सूरत में वायरस को प्रभावित नहीं करते हैं.
WHO ने अब तक 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' में चार वेरिएंट लिस्टेड किए हैं. इनमें B 1.617 सबसे नया है, जो कि सबसे पहले भारत में पाया गया था और बाद में दुनिया के तकरीबन 50 देशों तक फैल गया. डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि B 1.617 निश्चित तौर पर ज्यादा संक्रामक वेरिएंट है. ये ऑरिजिनल स्ट्रेन से डेढ़ से दो गुना अधिक संक्रामक हो सकता है. इतना ही नहीं, ये ब्रिटेन में पाए गए B 117 वेरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है, जिसने भारत की भी चिंता बढ़ा दी थी. लेकिन अब इसकी जगह B 1.617 ले चुका है.
WHO की चीफ साइंटिस्ट ने कहा, 'मौजूदा जानकारी के मुताबिक, भारत में उपलब्ध वैक्सीन कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ काफी प्रभावशाली है. हालांकि कई मामलों में दो डोज लेने वाले लोग भी संक्रमित हुए हैं. कुछ लोगों को हॉस्पिटलाइज भी किया गया है. लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि कुछ मामलों में ऐसा होता है. क्योंकि कोई वैक्सीन 100 प्रतिशत बचाव नहीं करती है. हालांकि दो डोज लेने वाले अधिकांश लोग घातक बीमारी से बच निकलने में कामयाब हुए हैं.'
डॉ. स्वामीनाथन ने इस दौरान न सिर्फ समस्याओं का हल बताया, बल्कि कई फायदेमंद रणनीतियों को अपनाने की सलाह भी दी. उन्होंने कहा कि हेल्थ केयर में निवेश करना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब ये साफ हो गया है कि हमारी जिंदगी में बिना स्वास्थ्य के कुछ भी नहीं है. शारीरिक और मानसिक रूप से प्रबल रहना बहुत जरूरी है.
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