जब हाई कोर्ट ने बीजेपी विधायक को फटकारा, राज्यपाल का किया जिक्र

Update: 2022-03-09 10:01 GMT

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष (Maharashtra Assembly Speaker) और उपाध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया को जनहित याचिका के द्वारा चुनौती दी गई थी. चुनौती देने वाले बीजेपी विधायक गिरीश महाजन को मुंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने गिरीश महाजन की याचिका ठुकरा दी है. साथ में जमा किए गए 10 लाख रुपए भी जब्त कर लेने का आदेश दिया है. जनक व्यास नाम के शख्स के साथ गिरीश महाजन ने जनहित याचिका दायर की थी. कोर्ट ने उनकी याचिका भी ठुकरा दी है और उनकी भी दो लाख रुपए की डिपॉजिट रकम जब्त कर ली गई है. याचिकाकर्ता गिरीश महाजन का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव से संबंधित नियमों को बदल कर महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है. इस पर कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) जो 12 एमएलसी के नामांकन को लेकर लेट-लतीफी कर रहे हैं, वो लोकतंत्र का गला घोंटने का काम नहीं है क्या?

हाईकोर्ट ने कहा कि यह महाराष्ट्र का दुर्भाग्य है कि राज्य के दोनों संवैधानिक पद यानी राज्यपाल और मुख्यमंत्री में तालमेल का अभाव है. इससे राज्य का नुकसान हो रहा है. कोर्ट ने कहा, '8 महीने हो गए विधान परिषद के 12 सदस्यों के नामांकन का काम पूरा करने का आदेश दिए हुए, लेकिन आदेश का सम्मान नहीं किया गया.' सीधे तौर पर राज्यपाल का नाम लिए बिना हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की.
कोर्ट ने कहा, 'विधानसभा के अध्यक्ष के चुनाव से जनता का कोई सीधा लेना-देना है क्या? यहां बैठे हुए कितने लोगों को लोकसभा अध्यक्ष का नाम पता है? विधानसभा का अध्यक्ष कौन होगा, कैसे होगा इससे जनता के हितों का नुकसान या फायदा कैसे है?' इस तरह के सवाल हाई कोर्ट ने बीजेपी विधायक के सामने दागे. कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी याचिका दायर कर कोर्ट का वक़्त बर्बाद ना करें. '
कोर्ट ने कहा कि न्यायालय का हस्तक्षेप करना तब बनता है जब व्यक्तिगत स्वतंत्रता खतरे में पड़ रही हो. या लोगों की जान जाने का डर हो. लेकिन अपनी राजनीतिक लड़ाई में अदालत को घसीटना ठीक नहीं है. कोर्ट ने इन शब्दों में गिरीश महाजन को कड़ी फटकार लगाई.

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