जब छोटे से मामले में पुलिस को एफआईआर न लिखने पर कोर्ट ने लगाई लताड़ा, जानिए पूरा मामला

अगर किसी को कोई एफआईआर दर्ज करनी हो, तो वह पुलिस स्टेशन जाएगा...

Update: 2021-08-11 03:09 GMT

नैनीताल. अगर किसी को कोई एफआईआर दर्ज करनी हो, तो वह पुलिस स्टेशन जाएगा, लेकिन नैनीताल में पुलिस स्टेशन शायद नाम मात्र के रह गए हैं. इस बात का सबूत तब मिला जब एक मामूली सी शिकायत दर्ज करवाने के लिए एक व्यक्ति को कोर्ट पहुंचना पड़ा. एक मामले में नैनीताल पुलिस की पहले ही किरकिरी हो चुकी है और इस बार फिर कोर्ट ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए पुलिस को आदेश दिया कि रिपोर्ट दर्ज की जाए. इस मामले में अचंभे की बात यह है कि एक मामूली सी रकम के नुकसान की रिपोर्ट पुलिस ने दर्ज नहीं की जबकि शिकायतकर्ता ने आला अफसरों तक गुहार लगाई.

दरअसल भवाली के पूर्व पालिका अध्यक्ष दयाल आर्या ने डिजिटल फ्रॉड करने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करवाने के लिए भवाली कोतवाली का रुख किया था. कोतवाली पुलिस ने एफआईआर दर्ज तो की नहीं, उल्टे आर्या पर ही दबाव डाला. फिर आर्या ने कोतवाली से लेकर एसएसपी तक एफआईआर दर्ज करने की मांग की. जब 7 महीनों तक कोई राहत नहीं मिली तो वह कोर्ट की शरण में गए. अब मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है.
दरलसल 20 नवम्बर 2020 को दिल्ली के ग्राहक विनोद आनंद ने आर्या की दुकान पर आकर 926 रुपये का सामान खरीदा था और पेटीएम से पैसा देने के बहाने एक मैसेज बनाकर आर्या के मोबाइल पर छोड़ दिया. दो दिन तक पैसे खाते में नहीं आने के बाद आर्या ने ग्राहक को फोन किया लेकिन उसने पैसों के लिए आनाकानी की. 24 दिसंबर को शिकायती पत्र लेकर आर्या थाने पहुंचे लेकिन फिर चक्कर लगाने का सिलसिला शुरू हुआ. थककर आर्या को 926 रुपये के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल करनी पड़ी.
इस मामले में आर्या ने कहा कि बात छोटी सी रकम की नहीं है, बल्कि कई लोग इसी तरह के फ्रॉड और पुलिस की अनसुनी के शिकार होंगे, यही ध्यान में रखते हुए कोर्ट तक लड़ाई लड़ना पड़ी. आर्या ने बताया कि जनसामान्य की शिकायत और पीड़ा न समझने वाले पुलिस अफसरों पर कार्रवाई की गुहार भी उन्होंने कोर्ट से लगाई है.
दरअसल हल्द्वानी जेल में कैदी की मौत के मामले में तब पीड़ितों ने कई पुलिस अधिकारियों तक गुहार लगाई थी, लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं हो सकी थी. और तो और कोर्ट द्वारा संज्ञान के बाद भी इस मामले में शिकायत दर्ज नहीं की गई थी. तब हाईकोर्ट ने नैनीताल पुलिस पर सख्त टिप्पणी कर कहा था कि एसएसपी को पुलिस मैनुअल दोबारा पढ़ना चाहिए और एसएसपी ज़िला चलाने योग्य नहीं हैं. हाई कोर्ट ने एसएसपी समेत अन्य अधिकारियों को हटाने का आदेश दिया था, हांलाकि अब ये केस सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.


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