नई दिल्ली: देश के पांच राज्यों में प्रदेश की जनता अपने मुख्यमंत्री का चुनाव करने वाली है. चुनाव की तारीखों (Assembly Election Dates 2022) का ऐलान हो चुका है और जल्द ही मतदान की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. सात चरणों में होने वाले चुनाव में ईवीएम (Election EVM) के जरिए जनता कई उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेगी. चुनाव आते ही ईवीएम पर भी चर्चा शुरू हो जाती है, क्योंकि कई बार ईवीएम हैक (EVM Hack) करने के आरोप भी लगाए जा चुके हैं. जब हर तरह चुनाव और ईवीएम आदि पर बात हो रही है तो इसी बीच हम आपको बताते हैं कि ईवीएम से जुड़ी वो बातें, जो बहुत कम लोग जानते हैं.
ऐसे में ईवीएम की कीमत, ईवीएम कैसे काम करती है जैसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब काफी दिलसच्प हैं. आप भी इन सवालों के जवाब को जानकर चुनावी प्रक्रिया को और बारीकी से समझा जा सकता है. साथ ही आप समझ सकते हैं कि किस तरह से एक ईवीएम जनप्रतिधि चुनने में मदद करती है.
क्या होती है ईवीएम?
ईवीएम का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन दो यूनिट से बनी होती हैं, जिसमें एक तो कंट्रोल यूनिट है और एक बैलेटिंग यूनिट. जब आप वोट देने जाते हैं तो चुनाव अधिकारी बैलेट मशीन के जरिए वोटिंग मशीन को ऑन करता है, जिसके बाद आप वोट दे सकते हैं. इस यूनिट में मतदाताओं के नाम लिखे होते हैं और उन्हें चुनकर आप वोट देते हैं. यानी ईवीएम पूरे सेट को कहा जाता है, जिससे वोटिंग होती है.
कितने रुपये की आती है ईवीएम?
चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, एक होती है एम2 ईवीएम (2006-10), जिसमें नोटा सहित अधिकतम 64 अभ्यर्थियों के निर्वाचन कराए जा सकते हैं. यानी चार वोटिंग मशीन तक जोड़ी जा सकती है. इसके अलावा एक एम3 ईवीएम भी होती है, जिसमें ईवीएम से 24 बैलटिंग इकाइयों को जोड़कर नोटा सहित अधिकतम 384 अभ्यर्थियों के लिए निर्वाचन कराया जा सकता है.
वहीं, एम2 ईवीएम (2006-10 के बीच निर्मित) की लागत रु.8670/- प्रति ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) (बैलेटिंग यूनिट और कंट्रोल यूनिट) थी. अब काम में आने वाली एम3 ईवीएम की लागत लगभग 17,000 रुपये प्रति यूनिट है. वैसे शुरुआती निवेश कुछ अधिक प्रतीत होता है, लेकिन मतपत्र से होने वाली वोटिंग से इसका खर्चा कम ही आता है. चुनाव आयोग के अनुसार, प्रत्येक निर्वाचन के लिए लाखों की संख्या में मतपत्रों के मुद्रण, उनके परिवहन, भंडारण आदि से संबंधित बचत और मतगणना स्टॉफ में होने वाले फायदे से इस कीमत की भरपाई हो जाती है.
ईवीएम बिजली से चलती है?
ईवीएम बैटरी पर काम करती है, इससे लाइट जाने की स्थिति में भी वोटिंग की प्रक्रिया को जारी रखा जा सकता है. साथ ही मशीन को लेकर आश्वासन दिया जाता है कि `नीले बटन' को दबाने या ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को हैंडल करने के समय किसी भी मतदाता को किसी भी समय बिजली का झटका लगने की कोई संभावना नहीं है.
ईवीएम में कितने दिन स्टोर रहता है डेटा?
बता दें कि कंट्रोल यूनिट अपनी मेमोरी में परिणाम को तब तक स्टोर कर सकता है जब तक कि डाटा को हटा या क्लीयर न कर दिया जाए.