कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय (Agriculture and Farmer Welfare Ministry) देश में खेती-किसानी को डिजिटल तकनीक से जोड़ने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहा है. कृषि मंत्रालय ने कृषि के डिजिटलीकरण पर जोर देते हुए पिछले कुछ वर्षों इसी उद्देश्य के साथ कई कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. इसी कड़ी में कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय फसल पूर्वानुमान के लिए पोर्टल विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है. यह पोर्टल रियल टाइम क्रॉप फोरकास्टिंंग (Real Time Crop Forecasting) करेगा. साथ ही पोर्टल उन्नत डिजिटल तकनीक का उपयोग करके विविध सूचनाओं को एकीकृत भी करेगा. कुल मिलाकर इस रियल टाइम फोरकास्टिंग पोर्टल का मुख्य उद्देश्य ऐसा डिजिटल सिस्टम तैयार करना है, जो फसलों के सटीक पूर्वानुमान में मदद कर सके.
समाचार एजेंसी आईएएनएस ने कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के रियल टाइम क्रॉप फोरकास्टिंग पोर्टल को लेकर एक अधिकारी के हवाले से कहा है कि योजना के तहत विभिन्न प्रकार के आंकड़ों को एक जगह एकीकृत किया जाएगा. साथ ही विभिन्न विभागों और संस्थानों की पद्धतियों को एडवांस डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिये मिलाया जाएगा. जिन्हें मिलाकर एक एकीकृत पोर्टल तैयार किया जाना है.
समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक इस पोर्टल के माध्यम से एक मासिक फसल पूर्वानुमान जारी किया जाएगा. जो पोर्टल के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित होगा. अभी तक कृषि मंत्रालय ऐसे सभी आंकड़ों को एकत्र करता है और कई स्तरों पर इनका विश्लेषण करता है. आईएएनएस से बात करते हुए अधिकारी ने कहा है कि एक बार जब रियल टाइम कॉर्प पूर्वनुमान संभव हो जाएगा तो यह पूर्वानुमान की पूरी प्रक्रिया का आंकलन लगभग ऑटोमेटिक हो जाएगा. आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय ने इस प्रणाली को समयबद्ध तरीके से विकसित करने के लिए एक टॉस्क फोर्स गठित की है, जिसकी अध्यक्षता कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एडीजी (सांख्यिकी) अर्थशास्त्र और सांख्यिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी करेंगे.
भारतीय खेती को मौसम आधारित व्यवसाय कहा जाता है. आज भी भारत की फसलों के उत्पादन का निर्धारण कुल मिलाकर मौसम ही करता है. माना जाता है कि देश के बड़े हिस्सों में खरीफ सीजन की फसल को मानसून प्रभावित करता है. इसके अनुरूप किसान से लेकर सरकार तक मानसून के पूर्वानुमान के आधार पर कृषि संबंधी योजना बनाते हैं और कृषि करते हैं. वहीं मानसून के पूर्वानुमान के अनुरूप ही देश में खाद्यान्न के उत्पादन का आंकलन किया जाता है. ऐसे में फसल पूर्वानुमान पोर्टल किसानों समेत सरकार के लिए कारगर साबित हो सकता है.