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Update: 2022-06-20 10:32 GMT

महाराष्ट्र के अमरावती जिले में मॉनसून की बारिश शुरू होने के बावजूद बाजार में कृषि उपज की आवक जारी है. बारिश की वजह से मंडी के अंदर और बाहर रखे गए कृषि उपज को बारिश की वजह से भारी नुकसान पहुचा हैं.किसान ( Farmer) जो उपज बेचने के लिए लाए वो सब पानी में भीग गई. सोयाबीन, चना और अरहर का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. राज्य के पूर्व कृषि मंत्री अनिल बोंडे ने मंडी समिति प्रशासन पर कृषि माल के नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया है. बोंडे ने कहा कि इस मंडी में किसान रोजाना बड़े पैमाने पर अपनी उपज लेकर पहुचते हैं, लेकिन बारिश (Rain) से बचाव करने के लिए प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किया है. उसे कृषि उपज सुरक्षित रखने के लिए इंतजाम करना चाहिए.

पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि एक बार जब कोई भी कमोडिटी बाजार समिति के दायरे में आ जाती है तो उसकी जिम्मेदारी कमेटी की होती है. मंडी में आने के बाद बारिश में भीगी फसलों का बोंडे ने मुआवजा देने की मांग की है. उन्होंने कलेक्टर से इस बारे में अनुरोध किया है. वहीं किसानों का कहना है कि सरकार मंडियों में उपज सुरक्षित रखने के लिए कई योजनाएं चला रही है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च कर रही है लेकिन सच तो ये है कि मंडी में साधारण शेड तक नहीं बनाया गया है.

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खरीफ का मौसम शुरू हो चुका है. अब अमरावती जिले के किसान बुवाई के लिए तैयारियां कर रहे हैं. बुवाई और खेत की तैयारी के लिए उन्हें पैसे की जरूरत है. इसलिए किसान चना और सोयाबीन की बिक्री पर जोर दे रहे हैं. रेट कम मिलने के बावजूद किसान उपज बेचने के लिए मजबूर हैं. दूसरी ओर अब फसल मंडी में आने के बावूजद भीगने से उन्हें एक और नुकसान हो गया. किसानों का कहना है कि मंडी समिति प्रशासन को कृषि उपज के लिए पूरा इंतजाम करने की जरूरत है.

पूर्व कृषि मंत्री बोंडे ने कहा किअमरावती में सोयाबीन, कपास और प्याज की बड़े पैमाने पर खेती होती है. मंडी में सोयाबीन की आवक ज्यादा होती है, इसलिए बारिश के मौसम में समिति पर उपज सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी होती है. इसलिए प्रकृति से हुए नुकसान के लिए प्रशासन जिम्मेदार है. क्योंकि उसने उपज रखने का सुरक्षित इंतजाम नहीं किया. अगर किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया तो उन्हें दोहरा नुकसान होगा. क्योंकि कई फसलों का पहले से ही किसानों को पूरा दाम नहीं मिल रहा.

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