बंगलुरु (आईएएनएस)| कर्नाटक की 16वीं विधानसभा के चुनाव के लिए बुधवार सुबह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान शुरू हो गया। राज्य की 224 विधानसभा सीटों के लिए मतदान सुबह सात बजे से शुरू हुआ जो शाम छह बजे तक चलेगा। प्रमुख राजनीतिक दल सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस में कड़े मुकाबले के कारण मतदान प्रतिशत अच्छा रहने की उम्मीद है।
दक्षिण भारत का प्रवेश द्वार माने जाने वाले राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा पहली बार साधारण बहुमत हासिल कर इतिहास रचने की उम्मीद कर रही है। उसने 2008 के विधानसभा चुनाव में 110 सीटों और 2018 के विधानसभा चुनाव में 104 सीटों पर जीत हासिल की थी। दोनों अवसरों पर वह ऑपरेशन लोटस के माध्यम से सरकार बनाने में सफल रही।
सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर विपक्षी कांग्रेस सत्ता में वापसी करना चाहती है। पिछले 38 साल से राज्य में कोई पार्टी लगातार दो बार सत्ता में नहीं आई है। दिवंगत मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार 1985 में दोबारा निर्वाचित हुई थी। कांग्रेस ने दावा किया है कि उसके सभी आंतरिक सर्वेक्षणों ने संकेत दिया है कि वह राज्य में सत्ता में आएगी।
जेडी (एस) किंग मेकर बनकर सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाना चाहता है। खंडित जनादेश होने की स्थिति में पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस से हाथ मिलाकर गठबंधन सरकारें बना चुकी है।
कांग्रेस से जुड़े सिर्फ तीन मुख्यमंत्रियों ने ही अब तक पांच साल का अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया है। पूर्व मुख्यमंत्री निजलिंगप्पा, डी. देवराज उर्स और सिद्धारमैया ने यह उपलब्धि हासिल की।
पिछले कार्यकाल (2018-2023) में तीन मुख्यमंत्रियों - जद (एस) के एच.डी. कुमारस्वामी और भाजपा के बी.एस. येदियुरप्पा तथा बसवराज बोम्मई ने कुर्सी संभाली है।
राज्य में 58,545 मतदान केंद्र हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 5.30 करोड़ है जिनमें 2.66 करोड़ पुरुष और 2.63 करोड़ महिला मतदाता हैं। राज्य में थर्ड जेंडर के 4,927 मतदाता हैं।
राज्य में 16,914 मतदाता हैं 100 साल से अधिक उम्र के हैं। 30 से 40 वर्ष (1.41 करोड़) और 40 से 60 वर्ष (1.89 करोड़) के बीच के मतदाता प्रमुख मतदान समूह हैं। वहीं, 18 से 19 वर्ष की आयु के 11.71 लाख मतदाता हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) पहली बार कर्नाटक में उपस्थिति दर्ज कराने की उम्मीद कर रही है।